Monday 27 July 2015

मनभावन बरसात सजन


मौसम की सौगात सजन
मनभावन बरसात सजन

छम-छम करती अमराई
गुमसुम नदियाँ लहराई
तृण-तृण छाई हरियाली
बहके पुरवा मतवाली
पात-पात मदमात सजन
मनभावन बरसात सजन

खिली वसुधा कर श्रृंगार
मन मगन गाये मल्हार
खुले मोरपंख सुनहरे
किसने इतने रंग भरे
मेघों की बारात सजन
मनभावन बरसात सजन

इन्द्रधनुष नभ पर छाये
चंचल चपला इठलाये
घन खेले आँख मिचौली
संग चाँद के अठखेली
पुलकित मनुआँ गात सजन
मनभावन बरसात सजन

गम और ख़ुशी का समास
कहीं उदासी, कहीं हास
कहीं दिखे है प्रीत रंग
कहीं मचलता है अनंग
छलक रहे जज्बात सजन
मनभावन बरसात सजन

छाये बादल कजरारे
खड़ा कदँब बाँह पसारे
कान्हा की वंशी बोले
हर्षित मन राधा डोले
दिल से दिल की बात सजन 
मनभावन बरसात सजन
      
मेघ झरे, जियरा धड़के
गीली पलकें, दृग छलके
तुम बिन सूना घर आँगन
पिया मिलन की लगी लगन
बूँदे करती घात सजन
मनभावन बरसात सजन

© हिमकर श्याम

(चित्र गूगल से साभार)

Tuesday 7 July 2015

साथ निभाया है जैसे, जन्मों तक निभाएँ

साथ निभाया है जैसे, जन्मों तक निभाएँ   
बन इक दूजे का संबल, हर ग़म को हराएँ   
पाएँ खुशियाँ ही खुशियाँ, रहे दूर बलाएँ
रहे सुवासित मन उपवन, प्रेम सुगंध लुटाएँ  
सौ शरदों तक आप जिएँ, रोग व्याधि भुलाएँ
प्रेमाशीष मिले हमको, राह हमें दिखाएँ  
पूरे हों स्वप्न सारे, हरपल मुस्कुराएँ
हम मधुर धुन उमंगों की, मिलकर गुनगुनाएँ
शादी की सालगिरह पर, हम सब की दुआएँ
स्वर्ण जयंती मनाया, हीरक भी मनाएँ

© हिमकर श्याम

                                                                    

[ विगत 18 जून, 2015  को माँ-पापा के विवाह की 53 वीं सालगिरह थीएक छोटी सी रचना उनके लिए. तस्वीरें परिणय की 50 वीं वर्षगाँठ की हैं. यह रचना उनको भी समर्पित जिन्होंने हाल-फिलहाल में अपने वैवाहिक जीवन के 50 साल पूरे किये हैं.]