Tuesday 26 January 2016

ऐ वतन तेरे लिए यह जान भी क़ुरबान है


दिल में हिंदुस्तान है, सांसों में हिंदुस्तान है
ऐ वतन तेरे लिए यह जान भी क़ुरबान है

नाज़ हमको है बहुत गंगो जमन तहज़ीब पर
अम्न का पैगाम अपनी  खूबियाँ पहचान है

हिन्द  की  माटी  में  जन्मे  सूर, मीरा जायसी
मीर, ग़ालिब की जमीं ये, भूमि ये रसख़ान की

धर्म, भाषा, वेशभूषा है अलग फिर भी  मगर
मुल्क़ की जब बात होती सब लुटाते जान हैं

खूँ  शहीदों  ने बहाया, हँस  के फाँसी पर चढे
है अमिट पहचान उनकी, याद हर बलिदान है

सर  कटाना है गवारा पर झुकेगा सर नहीं
हर जुबाँ पर गीत क़ौमी, ये तिरंगा शान है

बाइबिल, गुरु ग्रन्थ साहिब, वेद ओ' क़ुरआन है
नाम  सबके  हैं अलग पर,  एक सबका ज्ञान है

राष्ट्र  का हो नाम ऊँचा,  क़ौमी यकजहती रहे
फ़िक़्र में सबके वतन हो, बस यही अरमान है

ख़ाक बन हिमकर इसी माटी में रहना चाहता
गूँजता  सारे  जहाँ  में  हिन्द का  यश गान है


© हिमकर श्याम


(चित्र गूगल से साभार)

Tuesday 5 January 2016

खिड़कियों से झाँकती है रोशनी नए साल की



खिड़कियों से झाँकती है रोशनी नए साल की
आ गयी फिर वो घड़ी है शाम इस्तकबाल की

चार दिन की चाँदनी यह फिर अँधेरी रात है
ज़िंदगी की राह मुश्किल, फ़िक्र आटे दाल की

याद बन के रह गयीं घड़ियाँ पुराने साल की
धड़कने  गिन- गिन के रखिए हर साल की

आँकड़े कुछ और कहते पर हकीकत  कुछ अलग
सर-ब-सर क़िस्सा वही है, बात क्या तिमसाल की

दिन महीने, साल गुजरें हाल अपना बस वहीं
ज़िक्र क्या करिए किसी से सैकड़ों जंजाल की

रोज मुश्किल इक नयी है ज़िंदगी के सामने
है किसे फुर्सत यहाँ जो सुन सके बेहाल की

साल-ए-नौ से हैं उमीदें साल-ए-माजी की तरह
उग रहा सूरज नया शुरुआत अब इसमाल की

भूल कर सारे गमों को मुस्कुरा 'हिमकर' जरा
खूँटियों पर टाँग दे  सब याद बीते साल की


[नया साल आपके और आपके अपनों के जीवन में सुख, समृद्धि, सफ़लता और आरोग्य  लेकर आए...
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...]

© हिमकर श्याम

(चित्र गूगल से साभार)