tag:blogger.com,1999:blog-22290232460116896272024-03-19T08:57:02.350+05:30शीराज़ा [Shiraza]Himkar Shyamhttp://www.blogger.com/profile/18243305513572430435noreply@blogger.comBlogger133125tag:blogger.com,1999:blog-2229023246011689627.post-37484281853291733352023-03-08T00:21:00.001+05:302023-03-08T00:21:50.342+05:30टूट रही हैं बेड़ियाँ एक अघोषित युध्द वह, लड़ती है हर रोज।नारी बड़ी सशक्त है, सहन शक्ति पुरजोर।।टूट रही हैं बेड़ियाँ, दिखता है बदलाव।बेहद धीमी चाल से, बदल रहा बर्ताव।।अपने निज अस्तित्व को, नारी रही तलाश।सारे बन्धन तोड़ कर, छूने चली आकाश।।पूजन शोषण की जगह, मिले ज़रा सम्मान।नारी में गुण- दोष है, नारी भी इंसान।।हक की ख़ातिर बोलिए, शोषण है हर ओर।अपनी ताकत आँकिए, आप नहीं कमजोर।।■ हिमकर श्यामHimkar Shyamhttp://www.blogger.com/profile/18243305513572430435noreply@blogger.com9tag:blogger.com,1999:blog-2229023246011689627.post-12216687183793207162022-04-22T22:29:00.001+05:302022-04-22T22:29:36.966+05:30हरी भरी धरती रहे संकट सिर पर है खड़ा, रहिए ज़रा सतर्क।बचा हुआ है अब कहाँ, मिट्टी से सम्पर्क।।हरियाली पानी हवा, पृथ्वी के उपहार।हर प्राणी के वास्ते, जीवन का आधार।।कंकरीट से हम घिरे, होगा कब अहसास।हरी भरी धरती रहे, मिल कर करें प्रयास।।वसुधा ने जो भी दिया, उसका नहीं विकल्प।धरा दिवस पर कीजिए, संचय का संकल्प।।■ हिमकर श्यामHimkar Shyamhttp://www.blogger.com/profile/18243305513572430435noreply@blogger.com11tag:blogger.com,1999:blog-2229023246011689627.post-11679921148689159942022-04-04T23:17:00.000+05:302022-04-04T23:17:06.213+05:30गमक उठे हैं साल वन ढाक-साल सब खिल गए, मन मोहे कचनार।वन प्रांतर सुरभित हुए, वसुधा ज्यों गुलनार।।गमक उठे हैं साल वन, झरते सरई फूल।रंग-गंध आदिम लिए, मौसम है अनुकूल।।मीन- केकड़ा का यहाँ, पुरखों जैसा मान।दोनों के सहयोग से, पृथ्वी का निर्माण।।निखरा-निखरा रूप है, बाँटे स्नेह अथाह।धरती दुल्हन सूर्य की, रचने को है ब्याह।।मटके का जल देख कर, वर्षा का अनुमान।युगों पुरानी यह प्रथा, आदिम रीति Himkar Shyamhttp://www.blogger.com/profile/18243305513572430435noreply@blogger.com8tag:blogger.com,1999:blog-2229023246011689627.post-32002110776660238902021-10-14T17:42:00.002+05:302021-10-14T17:42:12.055+05:30होगी कृपा अनूप एक हाथ
में है कमल, दूजे में त्रिशूल।
शैलपुत्री के रूप में, करे कष्ट उन्मूल।।
है शुभ फलदायी बहुत, ब्रह्मचारिणी रूप।
मन से करें
उपासना, होगी कृपा अनूप।।
स्वर्ण वर्ण दस हाथ है, शशिघंटा दुतिमान।
शिक्षा, ज्ञान प्रदायिनी, करती हैं कल्याण।।
अष्ट भुजा माँ भगवती, मंद मधुर मुस्कान।
कूष्मांडा ने ही किया, सकल जगत निर्माण।।
सेनापति बन कर लड़ीHimkar Shyamhttp://www.blogger.com/profile/18243305513572430435noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-2229023246011689627.post-45423460001487958962021-10-02T18:37:00.002+05:302021-10-02T18:37:43.429+05:30वैष्णव जन की बात गाँधी ने जग को दिया, सर्वोदय का ज्ञान।सत्य, अहिंसा, सादगी, बापू की पहचान।।सत्य रूप भगवान का, सत्य करे बदलाव।गांधी का संदेश यह, सर्व-धर्म समभाव।।बापू करते थे सदा, वैष्णव जन की बात।अब भी दुर्बल दीन के, पहले से हालात।।रोक न पाया था उन्हें, कोई भी अवरोध।छुआछूत के भाव का, करते रहे विरोध।।भूख, गरीबी ने दिया, बुरी तरह झकझोर।सेवा का संकल्प ले, बढ़े लक्ष्य की ओर।।गांधी ने जग को दिया, सत्याग्रह Himkar Shyamhttp://www.blogger.com/profile/18243305513572430435noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-2229023246011689627.post-87832315513237947512021-05-05T17:57:00.002+05:302021-05-07T11:17:07.713+05:30बहरे शाह वज़ीर हवा विषैली हर तरफ़, मचा रही उत्पात।क्रूर काल पहुँचा रहा, अंतस् को आघात।। महामारी विकट हुई, बनी गले की फाँस।हाँफ रही है ज़िंदगी, उखड़ रही है सांस।।चूक आकलन में हुई, मचा हुआ कुहराम।हाल बुरा है देखिए, सिस्टम है नाकाम।। सत्ता पाने के लिए, नेता हुए अधीर।कोरोना का भय नहीं, घूम रहे हैं वीर।। बस चुनाव की फ़िक्र में, शासक हैं मशगूल।हर दिन ही वो तोड़ते, अपने नियम उसूल।। मतलब अपना साध Himkar Shyamhttp://www.blogger.com/profile/18243305513572430435noreply@blogger.com11tag:blogger.com,1999:blog-2229023246011689627.post-46604654782851512582021-04-25T18:13:00.001+05:302021-04-27T09:22:21.072+05:30साँसत में है जान महामारी मचा रही, सर्वत्र हाहाकार।
दूसरी लहर का कहर, बेकाबू रफ्तार।।लाइलाज यह मर्ज़ है, करता
क्रूर प्रहार।
महाकाल के सामने, मानव
है लाचार।।
घुला हवा में अब ज़हर, दाँव
लगे हैं प्राण।फैल रहा है संक्रमण, माँगे
मिले न त्राण।।
ऊँच-नीच का भेद क्या, सारे
एक समान।छोटा हो या हो बड़ा, साँसत में है
जान।।
बड़ी भयावह त्रासदी, पड़ी
काल की मार।घर-घर ही बीमार है, सुने
कौन चीत्कार।।
Himkar Shyamhttp://www.blogger.com/profile/18243305513572430435noreply@blogger.com8tag:blogger.com,1999:blog-2229023246011689627.post-44382383685659055832021-03-29T14:36:00.001+05:302021-03-29T14:36:36.309+05:30खुली ढोल की पोलजोगीरा सारा रारारा...!!! चरचा में है कांड वसूली, अघाड़ी परेशान।।परमबीर के लेटर बम से, सियासी घमासान।जोगीरा सारा रारारा...!!!रवींदर सा दिक्खे नरेंदर, बदला जब से वेश।सत्याग्रह भी ट्रेंड हुआ है, भौचक बंगलादेश।।जोगीरा सारा रारारा...!!!एक रात में कटा प्लास्टर, खुली ढोल की पोल।वैरी जन ट्विटर पर कहते, दीदी का सब झोल।।जोगीरा सारा रारारा...!!!एलजी के हाथों में पावर, सत्ता की तकरार।नाराज़ केजरी Himkar Shyamhttp://www.blogger.com/profile/18243305513572430435noreply@blogger.com10tag:blogger.com,1999:blog-2229023246011689627.post-19924796751788260872021-03-25T11:57:00.002+05:302021-03-25T11:59:33.299+05:30 अच्छी नहीं लगती रवानी गर नहीं हो तो नदी अच्छी नहीं लगतीकोई फ़ितरत बदलती चीज़ भी अच्छी नहीं लगतीजहाँ इंसानियत के नाम पर कुछ भी नहीं बाक़ीवहाँ तहज़ीब की बेचारगी अच्छी नहीं लगतीछलकते बाप के आँसू, सिसकती रात भर अम्माबुढ़ापे में किसी की बेबसी अच्छी नहीं लगतीकहीं पे जश्न का आलम, कहीं पे मुफ़लिसी तारीचराग़ों के तले यह तीरगी अच्छी नहीं लगतीखिलौनों की जगह हाथों में बच्चों के कटोरे हैंकिसी मासूम आँखों में नमी अच्छी Himkar Shyamhttp://www.blogger.com/profile/18243305513572430435noreply@blogger.com15tag:blogger.com,1999:blog-2229023246011689627.post-8365934278866777282020-05-07T22:47:00.000+05:302020-05-07T22:47:00.115+05:30खुद को लें पहचान
बाधा चाहे लाख हो, आता कभी न आँच।
बहुत देर छुपता नहीं, सूर्य चन्द्रमा साँच।।
काम करें ख़ुद पर तनिक, ख़ुद से हम अनजान।
ख़ुद से बढ़ कर कुछ नहीं, खुद को लें पहचान।।
सर्वनाश का मूल यह, कोध्र बढ़ाता ताप।
मौन शांति का मार्ग है, चुने इसे हम आप।।
जन्म मरण के चक्र को, कौन सका है रोक।
नाशवान हर चीज़ है, करे अकारथ शोक।।
नफ़रत से नफ़रत बढ़े, बढ़े प्यार से प्यार।
मनुज मनुज में भेद से, बढ़ता है Himkar Shyamhttp://www.blogger.com/profile/18243305513572430435noreply@blogger.com15tag:blogger.com,1999:blog-2229023246011689627.post-59820893243581910482020-04-26T22:58:00.000+05:302020-04-26T22:58:21.768+05:30हर दिन हुआ इतवार है
यूँ लगे हर दिन हुआ इतवार है
ज़िन्दगी की थम गई रफ़्तार है
ढूँढता था दिल कभी फ़ुर्सत मिले
फ़ुर्सतों ने कर दिया बेज़ार है
है यही बेहतर कि हम घर में रहें
कर रही क़ातिल हवा बीमार है
सरहदों के फ़ासलें मिटते गए
पास आने से मगर इनकार है
एक वबा ने हाल ऐसा कर दिया
क़ैद होकर रह गया संसार है
गुम हुई अफ़वाह में सच्ची ख़बर
चार सू अब झूट का व्यापार है
वह दिखाता है तमाशा बारहा
इक Himkar Shyamhttp://www.blogger.com/profile/18243305513572430435noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-2229023246011689627.post-87884855231067026082020-04-21T20:40:00.000+05:302020-04-22T01:24:39.562+05:30नजरबंद संसार
कोरोना से थम गई, दुनिया की रफ़्तार।
त्राहि-त्राहि जग कर रहा, नजरबंद संसार।।
मरहम रखने को गये, लौटे ले कर घाव।
परहित में जो हैं लगे, उन पर ही पथराव।
ओछी हरकत कर रहे, जड़ मति पत्थर बाज।
जाहिलपन वो मर्ज है, जिसका नहीं इलाज।।
ख़तरे में है ज़िंदगी, पड़े न कोई फ़र्क़।
तबलीगी ख़ुद कर रहे, अपना बेड़ा गर्क।।
बहुरंगी इस देश में, उत्सवधर्मी लोग।
जश्न Himkar Shyamhttp://www.blogger.com/profile/18243305513572430435noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-2229023246011689627.post-19272578637214706572020-03-20T17:39:00.000+05:302020-03-22T23:37:42.409+05:30कोरोना का फोबिया
कोरोना का फोबिया, दिखता है चहुँओर।
ख़बरों में, अख़बार में, टीवी पर है शोर।।
सूक्ष्म वायरस ने किया, दुनिया को हलकान।
अफरा-तफरीे मची गई, सहमा है इंसान।।
हाथ मिलाना छोड़ कर, नमस्कार जोहार।
मास्क लगा कर घूमते, बड़े- बड़े बरियार।।
बंद स्कूल कॉलेज सब, मंद पड़ा बाजार।
फैल रहा है संक्रमण, मानव है लाचार।।
भूल गए सब देखिए, आपस की तकरार।
कोरोना के सामने, डाल दिए हथियार।।
जमाखोर तो लीन हैं, करने में Himkar Shyamhttp://www.blogger.com/profile/18243305513572430435noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-2229023246011689627.post-44424241011039846342019-05-22T19:23:00.000+05:302019-05-22T19:23:26.645+05:30लिख रहे कैसी कहानी मुल्क में
लिख रहे कैसी कहानी मुल्क में
कर रहे जो हुक्मरानी मुल्क में
क़द्र खोती ये सियासत देखिए
आम होती बदजुबानी मुल्क में
मुफ़लिसी, बेरोजगारी बढ़ रही
रक़्स करती ख़ुश-गुमानी मुल्क में
अब भरोसा उठ गया है न्याय से
हाए इकतर्फ़ा बयानी मुल्क में
ख़ौफ़ का माहौल ऐसा बन गया
अब न होती हक़ बयानी मुल्क में
आँख से पट्टी हटा कर देखिए
क्या फ़ज़ाएँ शादमानी मुल्क में
कम नहीं हैं ज़ीस्त की दुश्वारियाँ
आफ़तें Himkar Shyamhttp://www.blogger.com/profile/18243305513572430435noreply@blogger.com17tag:blogger.com,1999:blog-2229023246011689627.post-66254422049346975642019-04-01T22:23:00.001+05:302019-04-01T22:23:53.327+05:30अप्रैल फूल
मूर्ख बने तो क्या हुआ, रखिए खुद को कूल।
हँसे-हँसाएँ आप हम, डे हैअप्रैल फूल।।
मूर्ख दिवस तो एक दिन, बनते हम सब रोज।
मूर्खों की इस भीड़ में, महामूर्ख की खोज।।
मूर्ख बना कर लोक को, मौज करे ये तंत्र ।।
धोखा, झूठ, फ़रेब, छल, नेताओं के मंत्र।।
© हिमकर श्याम
(चित्र गूगल से साभार)
Himkar Shyamhttp://www.blogger.com/profile/18243305513572430435noreply@blogger.com8tag:blogger.com,1999:blog-2229023246011689627.post-40275015905785891752019-03-21T16:20:00.001+05:302019-03-21T16:20:56.672+05:30 अच्छे दिन की आस में
जोगीरा सारा रा रा रा-2
[होली के कुछ रंग, हास्य-व्यंग के संग]
16. जुड़ता कुनबा देखते, रघुवर हैं बेचैन
अरसे से हेमंत की, सत्ता पर है नैन
जोगीरा सारा रा रा रा
17. काशी क्योटो बन रही, बदला अस्सी घाट
कॉरिडोर के नाम पर, खड़ी हो रही खाट
&Himkar Shyamhttp://www.blogger.com/profile/18243305513572430435noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-2229023246011689627.post-44681668722223772282019-03-21T01:07:00.000+05:302019-03-21T01:07:20.994+05:30सोया चौकीदार
जोगीरा सारा रा रा रा-1
[होली के कुछ रंग, हास्य-व्यंग के संग]
1. घर-घर मोदी की जगह, मैं भी चौकीदार
नारा लाया फिर नया, जुमलों का सरदार
जोगीरा सारा रा रा रा
2. राफेल डील केस में, उलझी है सरकार
फाइल चोरी हो गई, सोया चौकीदार
जोगीरा सारा रा रा रा
3. हाथी सहचर साइकिल, लालटेन का हाथ
तीर- कमल साथी Himkar Shyamhttp://www.blogger.com/profile/18243305513572430435noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-2229023246011689627.post-66435723937886077502019-03-04T23:12:00.000+05:302019-03-04T23:43:40.669+05:30सृष्टि और संहार शिव
निराकार-साकार शिव, शिव में नहीं विकार।
सृष्टि और संहार शिव, शिव ही पालनहार।।
बाघ छाल का वस्त्र है, ग्रीवा में मुंडमाल।
बसे हलाहल कंठ में, सोम सुशोभित भाल।।
डमरू शिव के हाथ में, बहे शीश से गंग।
अंगराग शव भस्म है, लिपटा गले भुजंग।।
बाम भाग में पार्वती, बैठे नन्दी द्वार।
अविनाशी नटराज हैं, नश्वर सब संसार।।
शिव देवों के देव हैं, शिव सर्वशक्तिमान।
नीति धर्म के मूल हैं, करते जग Himkar Shyamhttp://www.blogger.com/profile/18243305513572430435noreply@blogger.com9tag:blogger.com,1999:blog-2229023246011689627.post-11878777984345124102019-02-23T14:33:00.000+05:302019-02-23T14:45:15.182+05:30जन्नत लहूलुहान
घाटी में षड्यंत्र से, दहला हिंदुस्तान
सहमे पेड़ चिनार के, जन्नत लहूलुहान
बिना युध्द मारे गये, अपने सैनिक वीर
आहत पूरा देश है, हृदय-हृदय में पीर
पत्नी बेसुध है पड़ी,बच्चा करे विलाप
अम्मा छाती पीटती, मौन खड़ा है बाप
रक्त वर्ण झेलम हुई, क्षत-विक्षत है लाश
कितनी गहरी वेदना, फफक रहा आकाश
निगरानी की चूक से, आतंकी आघात
हमले की फ़िराक़ में, दुश्मन थे तैनात
घात नहीं यह जंग है, अब तो हो Himkar Shyamhttp://www.blogger.com/profile/18243305513572430435noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-2229023246011689627.post-5804565835394855702019-02-14T18:36:00.000+05:302019-02-14T18:36:31.585+05:30हिज्र की रात तो ढली ही नहीं
हिज्र की रात तो ढली ही नहीं
वस्ल की आरज़ू गई ही नहीं
मेरे दिल में थी बस तेरी चाहत
आरजू और कोई थी ही नहीं
मैंने तुझको कहाँ नहीं ढूँढा
यार तेरी ख़बर मिली ही नहीं
इश्क़ से थी हयात में लज़्ज़त
ज़िन्दगी बाद तेरे जी ही नहीं
मिन्नतें इल्तिज़ा न कम की थी
बात लेकिन कभी सुनी ही नहीं
काश कोई सुराख़ मिल जाये
बंद कमरे में Himkar Shyamhttp://www.blogger.com/profile/18243305513572430435noreply@blogger.com14tag:blogger.com,1999:blog-2229023246011689627.post-41808305483456497062019-02-11T23:35:00.001+05:302019-02-11T23:35:44.178+05:30श्वेत चतुर्भुज रूप
पद्मासिनि वागीश्वरी, श्वेत चतुर्भुज रूप
पुस्तक वीणा हाथ मे, बुद्धि ज्ञान प्रतिरूप
प्राणी को वाणी मिली, सुन वीणा की नाद
मौन सृष्टि करने लगी, आपस में संवाद
© हिमकर श्याम
(चित्र गूगल से साभार)
-
Himkar Shyamhttp://www.blogger.com/profile/18243305513572430435noreply@blogger.com11tag:blogger.com,1999:blog-2229023246011689627.post-71725074650416905192019-02-07T23:30:00.000+05:302019-02-07T23:30:17.415+05:30गुलाब की बातें
वो हया,वो हिजाब की बातें
उसके हुस्नो शबाब की बातें
बाग में जो निखार लाया था
याद है उस गुलाब की बातें
© हिमकर श्याम
(चित्र गूगल से साभार)
Himkar Shyamhttp://www.blogger.com/profile/18243305513572430435noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-2229023246011689627.post-21264066086337098562019-02-04T20:18:00.001+05:302019-02-07T23:31:22.622+05:30जीवन : तीन सेदोका
(एक)
रात अँधेरी
कान्तिमय दीपक
कंपित प्रज्वलित
खड़ा अकेला
सुख-दुःख संताप
लड़ना चुपचाप
(दो)
सृजन सीख
ठूंठ पर कोपल
दुःख पे सुख जय
आवाजाही है
पतझड़ वसंत
हंसते रोते जन
(तीन)
लघु जीवन
कंटकित डगर
कोशिशें बेअसर
व्यथित मन
हारे बैठे क्यूँ
भला
सीखें जीने की कला
[सेदोका जापानी
कविता की एक शैली है]
© हिमकर श्याम
(चित्र गूगल से साभार)
Himkar Shyamhttp://www.blogger.com/profile/18243305513572430435noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-2229023246011689627.post-89295898191966627872018-10-14T14:53:00.000+05:302018-10-14T14:53:44.436+05:30विवशता
एक के बाद एक
फँसते जा रहे हैं
हम
समस्याओं के,
दुर्भेद
चक्रव्यूह में
चाहते हैं,
चक्रव्यूह से
बाहर निकल,
मुक्त हो जाएँ हम
भी
रोज प्रत्यंचा चढ़
जाती है,
लक्ष्य बेधन के
लिए
लेकिन असमर्थताएँ
परास्त कर जाती
हैं
हर तरफ से।
शायद-
हो गये हैं हम भी,
अभिमन्यु की तरह।
काश,
इससे निकलने का भेद भी
बतला ही दिया
होता
अर्जुन ने ।
© हिमकर श्याम
(चित्र गूगल से साभार)
Himkar Shyamhttp://www.blogger.com/profile/18243305513572430435noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-2229023246011689627.post-29910834507851792202018-08-16T10:20:00.001+05:302018-08-16T10:20:45.239+05:30हजारों रंग ख़ुशबू से बना गुलदान है भारत
हज़ारों रंग ख़ुशबू से बना गुलदान है भारत
कई तहज़ीब,भाषा,धर्म की पहचान है भारत
कहीं गिरजा, कहीं मस्जिद, शिवाला और गुरुद्वाराकभी होली कभी क्रिसमस कभी रमज़ान है भारत
कोई नफ़रत भी बोता तो पनपती है मोहब्बत हीअज़ब जादू है माटी में, कोई वरदान है भारत
चलो मिलकर बचाएँ हम इसे फ़िरक़ापरस्ती सेन तेरा है, न मेरा है हमारी जान है भारत
नहीं पूरे हुए सपने, करे उम्मीद भी कब तकमचलता है जो Himkar Shyamhttp://www.blogger.com/profile/18243305513572430435noreply@blogger.com5