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रूठी ख़ुशियों को फिर आज़ मनाते हैं झिलमिल उम्मीदों के दीप जलाते हैं
 
 जिनके घर से दूर अभी उजियारा है
 उनके चौखट पर इक दीप जलाते हैं
 
 जगमग जगमग लहराते अनगिन दीपक
 निष्ठुर तम हम कुछ पल को बिसराते हैं
 
 रिश्तों में कितनी कड़वाहट दिखती है
 फिर अपनेपन का वो भाव जगाते हैं
 
 घनघोर अमावस से लड़ता है दीपक
 पुरनूर चिराग़ों से रात सजाते हैं
 
 शुभ ही शुभ हो, जीवन में अब मंगल हो
 मिलजुल दीपों को त्योहार मनाते हैं
 
 
 
[दीप पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ] 
 
 
(चित्र गूगल से साभार) 
 
 
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बहुत सुंदर.दीपावली की मंगलकामनाएं !
ReplyDeleteआभार।
Deleteब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से आप सब को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें !!
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, दीपावली की चित्रावली - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
आभारी हूँ।
Deleteबेहतरीन प्रस्तुति
ReplyDeleteआभार।
Deleteआपकी इस प्रस्तुति की चर्चा 12-11-2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2158 पर की जाएगी |
ReplyDeleteदीपावली की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
धन्यवाद
आभारी हूँ।
Deleteबहुत खूब जी शुभ दीपावली |
ReplyDeleteआभारी हूँ।
ReplyDeleteदीप पर्व मुबारक !!
ReplyDeleteसकारात्मक सोच से पूर्ण भावभरी रचना है !
ReplyDeleteशुभदीपावली, बहुत बहुत मंगलकामनाएँ आपको !
सादर आभार।
Deleteदीपावली के शुभ अवसर पर रची गयी बेहतरीन पंक्तियाँ ,बधाइयाँ बहुत बहुत दीपोत्सव की
ReplyDeleteआभार।
Deleteजरूर हम सब मिल कर उम्मीदों के दिए जलाते हैं।
ReplyDeleteआभार।
Deleteसुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार..
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका इंतजार....
सुन्दर शब्द रचना
ReplyDeleteदीपावली की मंगलकामनाएं !
आशाओ से भरी हुई दीपक की रोशनी ।
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