व्यथित मन में मधु
रस घोलो
शुभ-मंगल
सब मिलकर बोलो
झोली में ले कर ख्वाब
नया
देखो आया है साल नया
अरमानों की गठरी
खोलो
शुभ-मंगल
सब मिलकर बोलो
जो बीत गया सो बीत
गया
वह दुःख का गागर रीत
गया
उम्मीदों का दर फिर
खोलो
शुभ-मंगल
सब मिलकर बोलो
दूर नहीं खुशियों का
प्याला
उस पार खड़ा है
उजियाला
संग ज़माने के अब हो
लो
शुभ-मंगल
सब मिलकर बोलो
राह नयी है, लक्ष्य
नया है
जीवन में संकल्प नया
है
पहले अपने पर को
तोलो
शुभ-मंगल
सब मिलकर बोलो
क्या खोया, क्या
पाया हमने
खूब हिसाब लगाया
हमने
जख्म पुराने सारे
धोलो
शुभ-मंगल
सब मिलकर बोलो
छंद नया है, राग नया
है
होठों पे फिर गीत नया
है
सरगम के नव सुर पे
डोलो
शुभ-मंगल
सब मिलकर बोलो
पीड़ा- कष्ट मिटे
जीवन का
पूरा हो सपना जन जन का
अंतर्मन के बंधन
खोलो
शुभ-मंगल
सब मिलकर बोलो
हिमकर श्याम
|