गाँधी ने जग को दिया, सर्वोदय का ज्ञान।
सत्य, अहिंसा, सादगी, बापू की पहचान।।
सत्य रूप भगवान का, सत्य करे बदलाव।
गांधी का संदेश यह, सर्व-धर्म समभाव।।
बापू करते थे सदा, वैष्णव जन की बात।
अब भी दुर्बल दीन के, पहले से हालात।।
रोक न पाया था उन्हें, कोई भी अवरोध।
छुआछूत के भाव का, करते रहे विरोध।।
भूख, गरीबी ने दिया, बुरी तरह झकझोर।
सेवा का संकल्प ले, बढ़े लक्ष्य की ओर।।
गांधी ने जग को दिया, सत्याग्रह का मंत्र।
शांति- समर संघर्ष से, देश हुआ स्वतंत्र।।
स्व-निर्भरता शक्ति का, चरखा बना प्रतीक।
गांधी की अवधारणा, लगती बड़ी सटीक।।
अंतिम जन लाचार तो, आज़ादी है व्यर्थ।
सर्वोदय की भावना, स्वतंत्रता का अर्थ।।
अब गाँधी के नाम पर, होते वाद-विवाद।
महिमामंडित गोडसे, सोच नई आबाद।।
(चित्र गूगल से साभार)
सटीक
ReplyDeleteसुंदर, सार्थक रचना !........
ReplyDeleteब्लॉग पर आपका स्वागत है।