आएंगे अच्छे दिन भी
जब दूर, बहुत दूर
क्षितिज पर
उगेगा एक ऐसा सूर्य
जिसके हाथों में होगा
प्रकाश पुंज
उम्मीदों का
बिखेरेगा वह
मुठ्ठी भर-भर कर
उजाला
सबके जीवन में
निकालेगा वह हमें
इस दलदल से
भर देगा मन में
उत्साह और विश्वास
दूर हो जाएंगी
रोजमर्रा की उलझनें
असमंजस और कमजोरियां
पीछे छूट जाएंगे
जीने के जद्दोजहद में
मिली पीड़ा के साक्षी
अंधेरे
तोड़ेंगे हम चुप्पी
और उठा सकेंगे
आवाज
सर्वव्यापी अन्याय के खिलाफ
लड़ सकेंगे तमाम
खौफनाक वारदातों से
और अपने इस
निरर्थक अस्तित्व को
कोई अर्थ
दे सकेंगे हम।
हिमकर श्याम
जब दूर, बहुत दूर
क्षितिज पर
उगेगा एक ऐसा सूर्य
जिसके हाथों में होगा
प्रकाश पुंज
उम्मीदों का
बिखेरेगा वह
मुठ्ठी भर-भर कर
उजाला
सबके जीवन में
निकालेगा वह हमें
इस दलदल से
भर देगा मन में
उत्साह और विश्वास
दूर हो जाएंगी
रोजमर्रा की उलझनें
असमंजस और कमजोरियां
पीछे छूट जाएंगे
जीने के जद्दोजहद में
मिली पीड़ा के साक्षी
अंधेरे
तोड़ेंगे हम चुप्पी
और उठा सकेंगे
आवाज
सर्वव्यापी अन्याय के खिलाफ
लड़ सकेंगे तमाम
खौफनाक वारदातों से
और अपने इस
निरर्थक अस्तित्व को
कोई अर्थ
दे सकेंगे हम।
हिमकर श्याम
(चित्र गूगल से
साभार) 
![शीराज़ा [Shiraza]](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgHlTlgfra8mr_WMUE0ZuO_wX8IURGkJNe2nvpSRsJkeGhyphenhyphenF9w9jl9uzq5YLVqMftwgK57KlSjaIUq9ClwF3Nnns8thhEDmEuEX6fPnArCDwvODZrW4hGkQ6jZBM4C_YI7F9T2e-348TRc/s1600-r/sep+22.jpg) 

सुंदर...!
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