चाक घुमा कर हाथ से, गढ़े रूप आकार।
समय चक्र ऐसा घुमा, हुआ बहुत लाचार।।
चीनी झालर से हुआ, चौपट कारोबार।
मिट्टी के दीये लिए, बैठा रहा कुम्हार।।
माटी को मत भूल तू, माटी के इंसान।
माटी का दीपक बने, दीप पर्व की शान।।
सज धज कर तैयार है, धनतेरस बाजार।
महँगाई को भूल कर, उमड़े खरीददार।।
सुख, समृद्धि, सेहत मिले, बढ़े खूब व्यापार।
घर, आँगन रौशन रहे, दूर रहे अँधियार।।
कोई मालामाल है, कोई है कंगाल।
दरिद्रता का नाश हो, मिटे भेद विकराल।।
चकाचौंध में खो गयी, घनी अमावस रात।
दीप तले छुप कर करे, अँधियारा आघात।।
दीपों का त्यौहार यह, लाए शुभ सन्देश।
कटे तिमिर का जाल अब, जगमग हो परिवेश।।
ज्योति पर्व के दिन मिले, कुछ ऐसा वरदान।
ख़ुशियाँ बरसे हर तरफ़, सबका हो कल्याण।।
© हिमकर श्याम
(चित्र गूगल से साभार)
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उत्साहवर्धन हेतु आपका आभारी हूँ...रचना के चयन के लिए धन्यवाद ।
ReplyDeleteबहुत खूब ... दीपावली पर बहुत ही संजीदा भाव लिए हैं आपके छंद ...
ReplyDeleteदीपों के पर्व की बधाई ...
हार्दिक आभार...मंगलकामनाएँ...
Deleteबहुत सुंदर एवं हकीकत को बयां करती रचना.
ReplyDeleteदीपोत्सव की शुभकामनाएं !
नई पोस्ट : दीपावली,गणपति और तंत्रोपासना
हार्दिक आभार...मंगलकामनाएँ...
Deleteबहुत सुन्दर ..
ReplyDeleteदीप पर्व की हार्दिक शुभकामनायें!
हार्दिक आभार...मंगलकामनाएँ...
Deleteसुन्दर भाव , सार्थक आव्हान
ReplyDelete]रौशनी फैले हर ओर .... हार्दिक शुभकामनायें...
दीपावली की शुभकामनायें !
ReplyDeleteहार्दिक आभार...मंगलकामनाएँ...
Deleteसुन्दर दोहे देखकर,मन हो गया प्रसन्न।
ReplyDeleteमालिक रक्खे आपको,स्वस्थ,सुखी,संपन्न।।
दीपावली की शुभकामनायें
हार्दिक अभिनन्दन. प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद...मंगलकामनाएँ...
Deleteअनुपम प्रस्तुति......समस्त ब्लॉगर मित्रों को दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ......
ReplyDeleteनयी पोस्ट@बड़ी मुश्किल है बोलो क्या बताएं
अनुपम प्रस्तुति......आपको और समस्त ब्लॉगर मित्रों को दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ......
ReplyDeleteनयी पोस्ट@बड़ी मुश्किल है बोलो क्या बताएं
हार्दिक आभार...मंगलकामनाएँ...
Deleteदीपावली की अनेक शुभ कामनाएँ। सुंदर प्रस्तुति का आभार।
ReplyDeleteहार्दिक अभिनन्दन. प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद...मंगलकामनाएँ...
Deleteबहुत सुन्दर और सार्थक दोहे...दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें!
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