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1. 
वरदायिनी 
माँ शारदे, वर दे 
बुद्धि, ज्ञान दे 
 
2. 
ज्योति स्वरूपा 
गहन है अँधेरा  
अज्ञान हर 
 
 
3. 
हे वागीश्वरी  
शब्द, भाव, छंद दे 
विनती करूँ 
 
4. 
 
वीणा वादिनी  
वसंत की रागिनी  
लय, तान दे 
 
5. 
माँ सरस्वती  
शरण में ले मुझे  
साधक तेरा  
 
6. 
वसंतोत्सव 
ज्ञान की आराधना  
श्रृंगार पर्व    
 
 
वसंत पंचमी की
शुभकामनाएँ... माँ
सरस्वती सभी पर ज्ञान रूपी आशीर्वाद बरसाती रहें!! 
 
© हिमकर श्याम 
 
(चित्र गूगल से साभार) | 
सार्थक प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (25-01-2015) को "मुखर होती एक मूक वेदना" (चर्चा-1869) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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बसन्तपञ्चमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
चर्चामंच पर स्थान देने के लिए धन्यवाद!
ReplyDeleteशारदा माँ का हाइकु में सुन्दर वर्णन ।
ReplyDeleteस्वागत है आपका...इस स्नेह और सम्मान के लिए हृदय से आभार!!
Deleteबहुत सुन्दर वंदना हाइकू छंद में !
ReplyDeleteहार्दिक आभार
Deleteसार्थक रचना
ReplyDeleteमाँ सरस्वती के चरणों में समर्पित सुन्दर हाइकू ...
ReplyDeleteसार्थक भाव ...
हृदय से आभार आपका
Deleteज्योति स्वरूपा
ReplyDeleteगहन है अँधेरा
अज्ञान हर
सुन्दर स्तुति, नमन
हृदय से आभार आपका
Deletebahut sundar ....
ReplyDeleteस्वागत है आपका...हार्दिक आभार
Deleteसुंदर सरस्वती वंदन पर हाइकू।
ReplyDeleteहार्दिक आभार
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