कई तहज़ीब,भाषा,धर्म की पहचान है भारत
कहीं गिरजा, कहीं मस्जिद, शिवाला और गुरुद्वारा
कभी होली कभी क्रिसमस कभी रमज़ान है भारत
कभी होली कभी क्रिसमस कभी रमज़ान है भारत
कोई नफ़रत भी बोता तो पनपती है मोहब्बत ही
अज़ब जादू है माटी में, कोई वरदान है भारत
अज़ब जादू है माटी में, कोई वरदान है भारत
चलो मिलकर बचाएँ हम इसे फ़िरक़ापरस्ती से
न तेरा है, न मेरा है हमारी जान है भारत
न तेरा है, न मेरा है हमारी जान है भारत
नहीं पूरे हुए सपने, करे उम्मीद भी कब तक
मचलता है जो सीने में वही अरमान है भारत
मचलता है जो सीने में वही अरमान है भारत
इसे सींचा लहू देकर भगत अशफाक़ बिस्मिल ने
पुराणों वेद की धरती जहाँ की शान है भारत
पुराणों वेद की धरती जहाँ की शान है भारत
ये वहशी दौर है 'हिमकर' नहीं महफ़ूज़ है कोई
हवाएँ देख नफ़रत की बहुत हैरान है भारत
हवाएँ देख नफ़रत की बहुत हैरान है भारत
© हिमकर श्याम
(चित्र गूगल से साभार)
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (17-08-2018) को "दुआ करें या दवा करें" (चर्चा अंक-3066) (चर्चा अंक-3059) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सटीक और सार्थक रचना
ReplyDeleteभारत की विभिन्नताओं और विषेशताओं को बखूबी बयां करती रचना .
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ग़ज़ल है
भारत आन बान शान है ... सबी पहचान है ...
ReplyDeleteजय हिन्द ...
लाजवाब शेरोन से भारत दर्शन और भारत परिचय ...
बहुत सुंदर
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