Monday, 1 April 2019

अप्रैल फूल


मूर्ख बने तो क्या हुआ, रखिए खुद को कूल।
हँसे-हँसाएँ आप हम, डे हैअप्रैल फूल।।

मूर्ख दिवस तो एक दिन, बनते हम सब रोज। 
मूर्खों की इस भीड़ में, महामूर्ख की खोज।। 

मूर्ख बना कर लोक को, मौज करे ये तंत्र ।। 
धोखा, झूठ, फ़रेब, छल, नेताओं के मंत्र।।


© हिमकर श्याम

(चित्र गूगल से साभार)




8 comments:

  1. बहुत खूब ...
    सच अहि नेता तो रोज़ ही अप्रेल फूल बनाते हैं और पता भी नहीं चलता ...
    अच्छे हैं सभी दोहे ... लाजवाब ...

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  2. व्वाहहह..
    सादर...

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (03-04-2019) को "मौसम सुहाना हो गया है" (चर्चा अंक-3294) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  4. बहुत सुन्दर दोहों का सृजन ।

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  5. वाहः वाहः बहुत खूब्।

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  6. मूर्ख बने तो क्या हुआ, रखिए खुद को कूल।
    हँसे-हँसाएँ आप हम, डे हैअप्रैल फूल।।

    सहज शब्दों में सुन्दर दोहों का सृजन लाजवाब

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  7. बहुत सुंदर और सटीक...

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