Saturday 31 October 2015

ज़िन्दगी दुश्वार लेकिन प्यार कर

मुश्किलों को हौसलों से पार कर
ज़िन्दगी दुश्वार लेकिन प्यार कर

सामने होती मसाइल इक नयी
बैठ मत जा गर्दिशों से हार कर

बात दिल में जो दबी कह दे उसे
इश्क़ है उससे अगर इज़हार कर

नफरतों का बीज कोई बो रहा
दोस्तों से यूँ न तू तक़रार कर

ढूंढता दिल चन्द खुशियों की घड़ी
अब ग़मों पर खुद पलट कर वार कर

दूर मंज़िल हैं अभी रस्ता कठिन
ज़िन्दगी की राह को हमवार कर

अपने ख़्वाबों की निगहबानी करो 
फायदा क्या ख़्वाहिशों को मार कर

है हमें लड़ना मुसलसल वक़्त से
हर घड़ी हासिल तज़ुर्बा यार कर


-हिमकर श्याम

(चित्र संयोजन : रोहित कृष्ण)

20 comments:

  1. उम्दा सोच की
    बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (01-11-2015) को "ज़िन्दगी दुश्वार लेकिन प्यार कर" (चर्चा अंक-2147) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. दूर मंज़िल हैं अभी रस्ता कठिन
    ज़िन्दगी की राह को हमवार कर

    बहुत ही सुन्दर ....

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  4. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 01 नवम्बबर 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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  5. बहुत सुंदर

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  6. बहुत ही सुंदर पोस्‍ट।

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  7. दूर मंज़िल हैं अभी रस्ता कठिन
    ज़िन्दगी की राह को हमवार कर
    ................ खूबसूरत शानदार ग़ज़ल हिमकर जी

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  8. ज़िन्दगी दुश्वार लेकिन प्यार कर

    सार्थक सन्देश.

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