निराकार-साकार शिव, शिव में नहीं विकार।
सृष्टि और संहार शिव, शिव ही पालनहार।।
बाघ छाल का वस्त्र है, ग्रीवा में मुंडमाल।
बसे हलाहल कंठ में, सोम सुशोभित भाल।।
डमरू शिव के हाथ में, बहे शीश से गंग।
अंगराग शव भस्म है, लिपटा गले भुजंग।।
बाम भाग में पार्वती, बैठे नन्दी द्वार।
अविनाशी नटराज हैं, नश्वर सब संसार।।
शिव देवों के देव हैं, शिव सर्वशक्तिमान।
नीति धर्म के मूल हैं, करते जग कल्याण।।
ॐ कार के जाप से, मिटे कलुष अज्ञान।
बम बम भोले बोलिए, धरिए शिव का ध्यान।।
© हिमकर श्याम
(पेंटिंग छोटी बहन श्रद्धा श्रीवास्तव की)
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (06-03-2019) को "आँगन को खुशबू से महकाया है" (चर्चा अंक-3266) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर पेंटिंग के साथ एक सुन्दर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteहर हर महादेव।
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
iwillrocknow.com
बहुत खूब 🙏🙏🙏
ReplyDeleteबहुत सार्थक रचना, शिव जी की सुंदर कलाकृति !
ReplyDeleteलाज़वाब अभिव्यक्ति
ReplyDeleteसुन्दर भक्तिपूर्ण रचना
ReplyDeleteशिव के रूप, विचार और दर्शन को सुन्दर दोहों में बाँधा है हिमकर जी ... बहुत बहुत बधाई इस सार्थक दोहों की ...
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