26/11 के बाद ये ग़ज़ल कही थी, आपसब के हवाले
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याद आती है बेचैन हरिक साज़
की सूरत
वो शाम कयामत की, जले ताज़
की सूरत
थी भीड़ मजारों पर, चिताएँ
भी थीं रौशन
आबाद अभी दिल में है जाबांज़
की सूरत
दम भरते थे आज़ाद फिजाँ की जो
परिंदे
हैरान हैं अब देख के शहबाज़
की सूरत
आवारा हवाओं का कहाँ ठौर
ठिकाना
ये गर्द बताती है दगाबाज़ की
सूरत
जिस राह चले साथ चले खौफ़
बमों का
हर रोज़ नई होती है इस साज़
की सूरत
बेकैफ़ खड़ीं आज दर-ओ-बाम दिवारें
बेचैन निगाहों में है हमराज़ की सूरत
हर सिम्त से उठ्ठी है एहतजाज़
की सदा
इस शोर में दिखती नहीं एजाज़
की सूरत
माहौल अभी ठीक नहीं, तल्ख़
है मौसम
नाशाद नज़र आती है दमसाज़ की
सूरत
© हिमकर श्याम
(चित्र
गूगल से साभार)
आपकी कलम सही चित्रकारी की है
ReplyDeleteभुलाये नहीं भूलता 26 नवम्बर
उम्दा रचना
शुक्रिया आपका
Deleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, २६/११ और हम - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteशुक्रगुज़ार हूँ
Deleteबहुत सुंदर .
ReplyDeleteनई पोस्ट : इक ख्याल दिल में समाया है
शुक्रिया
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (29-11-2015) को "मैला हुआ है आवरण" (चर्चा-अंक 2175) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
शुक्रगुज़ार हूँ।
Deleteआपकी इस गज़ल नें फिर याद दिला दी २६-११ की।
ReplyDeleteहमराज़ नही वो हैं दगाबाज़ सदा से,
दुनिया के सामने बनाते भोली सूरत।
वाह। शुक्रिया।
Deleteबहुत सटीक शब्द चित्र...ख़ूबसूरत ग़ज़ल
ReplyDeleteशुक्रिया आपका
Deletesundar,sarthak rachna..
ReplyDeleteबेहतरीन अभिव्यक्ति , बधाई आपको !
ReplyDeleteशुक्रिया आपका
Deleteसुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार..
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका इंतजार....
सटीक और बेहद सुंदर रचना ।
ReplyDeleteशानदार अभिव्यक्ति। अच्छी रचना प्रस्तुत की है आपने।
ReplyDeleteसटीक शब्द चित्र...ख़ूबसूरत ग़ज़ल श्याम जी
ReplyDeleteशुक्रिया
Delete२६/११ की सूरत का सटीक चित्रण है हर शेर इस लाजवाब ग़ज़ल का ...
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