Wednesday, 11 November 2015

उम्मीदों के दीप जलाते हैं


रूठी ख़ुशियों को फिर आज़ मनाते हैं 
झिलमिल उम्मीदों के दीप जलाते हैं 

जिनके घर से दूर अभी उजियारा है
उनके चौखट पर इक दीप जलाते हैं 

जगमग जगमग लहराते अनगिन दीपक 
निष्ठुर तम हम कुछ पल को बिसराते हैं 

रिश्तों में कितनी कड़वाहट दिखती है 
फिर अपनेपन का वो भाव जगाते हैं 

घनघोर अमावस से लड़ता है दीपक 
पुरनूर चिराग़ों से रात सजाते हैं 

शुभ ही शुभ हो, जीवन में अब मंगल हो 
मिलजुल दीपों को त्योहार मनाते हैं 


[दीप पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ]

© हिमकर श्याम
(चित्र गूगल से साभार)



20 comments:

  1. बहुत सुंदर.दीपावली की मंगलकामनाएं !

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  2. ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से आप सब को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें !!
    ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, दीपावली की चित्रावली - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  3. बेहतरीन प्रस्तुति

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  4. आपकी इस प्रस्तुति की चर्चा 12-11-2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2158 पर की जाएगी |
    दीपावली की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    धन्यवाद

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  5. बहुत खूब जी शुभ दीपावली |

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  6. दीप पर्व मुबारक !!

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  7. सकारात्मक सोच से पूर्ण भावभरी रचना है !
    शुभदीपावली, बहुत बहुत मंगलकामनाएँ आपको !

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  8. दीपावली के शुभ अवसर पर रची गयी बेहतरीन पंक्तियाँ ,बधाइयाँ बहुत बहुत दीपोत्सव की

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  9. जरूर हम सब मिल कर उम्‍मीदों के दिए जलाते हैं।

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  10. सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार..
    मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका इंतजार....

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  11. सुन्दर शब्द रचना
    दीपावली की मंगलकामनाएं !

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  12. आशाओ से भरी हुई दीपक की रोशनी ।

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