Saturday, 14 February 2015

इश्क़ की पनाहों में

सफ़र का लुत्फ़ मिले ज़िंदगी की राहों में
चलूँ जो साथ तेरे इश्क़ की पनाहों में

महक उठी हैं फिजाएँ किसी के आने से
बहार बन के समाया है कौन चाहों में

असर कुछ ऐसा हुआ उनके शोख जलवों का
उन्हीं का अक्स बसा जाता है निगाहों में

गिला रहा न कोई अब हयात से हमको
सिमट के आ गईं ख़ुशियाँ तमाम बाँहों में 

ख़बर थी अपनी, न थी फ़िक्र कोई दुनिया की
सुकून इतना मिला हमको जल्वागाहों में
  
किसी ने याद किया आज मुझको शिद्दत से
खड़ीं हैं साथ मेरे हिचकियाँ गवाहों में

घटा जो आज तेरी सांसों को छुके उट्ठी
वो बरसे आके मेरे दिल की प्यासी राहों में

शुमार इश्क़ न हो खानुमा ख़राबों में
करे न ज़िक्र कोई प्यार का गुनाहों में 

कभी तो हाल सुनो पास आके 'हिमकर' के
बदल न जाए सदा उसकी सर्द आहों में 

© हिमकर श्याम
(चित्र गूगल से साभार)


43 comments:

  1. सुन्दर … प्रेमपगे भाव

    बेहतरीन पंक्तियाँ हैं

    ReplyDelete
  2. किसी ने याद किया आज मुझको शिद्दत से
    खड़ीं हैं साथ मेरे हिचकियाँ गवाहों में
    बहुत सुंदर गजल.

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत-बहुत शुक्रिया

      Delete
  3. सार्थक प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (16-02-2015) को "बम भोले के गूँजे नाद" (चर्चा अंक-1891) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
    Replies
    1. चर्चामंच पर स्थान देने के लिए धन्यवाद!

      Delete
  4. बहुत सुन्दर प्रेममय गीत।

    ReplyDelete
  5. बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति...

    ReplyDelete
  6. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।

    ReplyDelete
  7. बहुत ही सुंदर पंक्तियां।

    ReplyDelete
  8. देर से पहुँचने के लिए क्षमा चाहती हूँ ,बड़ी भीनी भीनी सी रूमानियत का अहसास लिए है यह ग़ज़ल ...और क्या खूब कहा है आप ने यह शेर के ...किसी ने याद किया आज मुझको शिद्दत से
    खड़ीं हैं साथ मेरे हिचकियाँ गवाहों में'
    ..बहुत खूब! कभी अपनी आवाज़ में इस ग़ज़ल को रिकॉर्ड करके सुनाईये.

    ReplyDelete
    Replies
    1. अल्पना जी, ग़ज़ल आप तक पहुंची, मुझे बहुत ख़ुशी हुई . बहुत-बहुत शुक्रिया आपका...बेसुरा हूं. गाना नहीं आता, बस पढ़ सकता हूँ. इसे आपकी आवाज़ मिल जाए क्या कहने. आपकी आवाज़ में सुनना निश्चय ही सुखद होगा.

      Delete
  9. महक उठी हैं फिजाएँ किसी के आने से
    बहार बन के समाया है कौन चाहों में ...
    प्रेम रस में पगी ... मीठा सा एहसास लिए है हर शेर जो दिल के अन्दर तक धंस जाता है ... सार्थक किया है १४ फ़रवरी के दिवस को आपने ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत-बहुत शुक्रिया आपका

      Delete
  10. हिमकर जी, बेहद भावपूर्ण रचना के लिए बहुत बहुत बधाई....यह रचना भी बहुत बढ़िया गाने योग्य है | मैंने एक बार "उमड़-घुमड़" रचना के बारे में भी कमेन्ट करते हुए यह कहा था | उसकी धुन पर काम किया है और अगली बरसात में उसे आप तक और श्रोताओं तक पहुँचाना चाहता हूँ.....
    @जा रहा है जिधर बेखबर आदमी

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत-बहुत शुक्रिया आपका। यह जानकर ख़ुशी हुई कि आपने धुन तैयार कर ली है, आभार। आपकी उस पोस्ट का इंतजार रहेगा।

      Delete
  11. कभी तो हाल सुनो पास आके 'हिमकर' के
    बदल न जाए सदा उसकी सर्द आहों में

    वाह ! बहुत बेहतरीन ! हर शेर मोती सा बेशकीमती ! हर अहसास जज़्बात की रवानी से धड़कता हुआ ! बहुत खूब !........हिमकर जी

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत-बहुत शुक्रिया

      Delete
  12. ख़बर थी अपनी, न थी फ़िक्र कोई दुनिया की
    सुकून इतना मिला हमको जल्वागाहों में
    .....बहुत खूब

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत-बहुत शुक्रिया

      Delete
  13. शुमार इश्क़ न हो खानुमा ख़राबों में
    करे न ज़िक्र कोई प्यार का गुनाहों में
    कहते है ग़ज़ल होती हैं तो होती हैं नहीं होती तो नहीं होती और ये ग़ज़ल हो गईं है। सुन्दर
    http://savanxxx.blogspot.in

    ReplyDelete
    Replies
    1. स्वागत है आपका...हार्दिक आभार!!

      Delete
  14. I every tіmе spent mү half an hօur to rеad this webpage's articles еѵery Ԁay along with a mug οf coffee.


    my website; fdgdg

    ReplyDelete
  15. गिला रहा न कोई अब हयात से हमको
    सिमट के आ गईं ख़ुशियाँ तमाम बाँहों में
    बहुत सुंदर हिमकर जी। वैसे तो हर एक शेरअपने आप में मुकम्मल है
    पर मुझे यह बहुत पसंद आया।

    ReplyDelete
    Replies
    1. ग़ज़ल आप तक पहुंची मुझे बेहद ख़ुशी हुई.. बहुत बहुत शुक्रिया आपका…

      Delete
  16. सुन्दर ग़ज़ल बहुत सुन्दर भाव

    ReplyDelete
  17. सुन्दर ग़ज़ल लिखी है आपने.

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत-बहुत शुक्रिया

      Delete
  18. beautiful gazal...very touchy..

    ReplyDelete

आपके विचारों एवं सुझावों का स्वागत है. टिप्पणियों को यहां पर प्रकट व प्रदर्शित होने में कुछ समय लग सकता है.