Tuesday 7 July 2015

साथ निभाया है जैसे, जन्मों तक निभाएँ

साथ निभाया है जैसे, जन्मों तक निभाएँ   
बन इक दूजे का संबल, हर ग़म को हराएँ   
पाएँ खुशियाँ ही खुशियाँ, रहे दूर बलाएँ
रहे सुवासित मन उपवन, प्रेम सुगंध लुटाएँ  
सौ शरदों तक आप जिएँ, रोग व्याधि भुलाएँ
प्रेमाशीष मिले हमको, राह हमें दिखाएँ  
पूरे हों स्वप्न सारे, हरपल मुस्कुराएँ
हम मधुर धुन उमंगों की, मिलकर गुनगुनाएँ
शादी की सालगिरह पर, हम सब की दुआएँ
स्वर्ण जयंती मनाया, हीरक भी मनाएँ

© हिमकर श्याम

                                                                    

[ विगत 18 जून, 2015  को माँ-पापा के विवाह की 53 वीं सालगिरह थीएक छोटी सी रचना उनके लिए. तस्वीरें परिणय की 50 वीं वर्षगाँठ की हैं. यह रचना उनको भी समर्पित जिन्होंने हाल-फिलहाल में अपने वैवाहिक जीवन के 50 साल पूरे किये हैं.]



15 comments:

  1. सुन्दर रचना

    ReplyDelete
  2. जीवन के पचास बसंत साथ बीते ... इससे ज्यादा और ख़ुशी की बात क्या हो सकती है ...
    आपको और माँ बाबूजी को बधाई ... दिन यूँ ही गुजरें ..लाजवाब रचना का उपहार पा के ऐसे माता पिता भी धन्य हो गए होंगे ...

    ReplyDelete
  3. बहुत बहुत शुभकामनाएं

    ReplyDelete
  4. बहुत अच्छा और अमूल्य उपहार दीया है आपने अपने माता.पिता को । हमारी और से भी शुभकामनाय |

    ReplyDelete
  5. हमारी तरफ से भी शुभकामनायें स्वीकारें
    इस सुंदर रचना के लिए भी बधाई

    ReplyDelete
  6. हार्दिक शुभकामनाएं!

    ReplyDelete
  7. Very nice post ...
    Welcome to my blog on my new post.

    ReplyDelete
  8. आप सब से स्नेह एवं मंगलकामनाएँ पाकर अभीभूत हूँ, आप सभी का हृदय से धन्यवाद एवं आभार !
    ~सादर

    ReplyDelete
  9. बहुत बहुत शुभकामनाएं मम्मी पापा को, साथ हमेशा बना रहे !
    उनको समर्पित आपकी रचना सुन्दर लगी !

    ReplyDelete
  10. shubhkamnayen...maa-papa ko.

    ReplyDelete

आपके विचारों एवं सुझावों का स्वागत है. टिप्पणियों को यहां पर प्रकट व प्रदर्शित होने में कुछ समय लग सकता है.