Thursday, 30 April 2015

एहसास के क्षण


राख, कितनी राख
बिखरी है चारों ओर!
ये सिसकियाँ-दहशतें, कांपता सन्नाटा
मलबे  में दबी,
सड़ी-गली लाशें,
चिराइन गंध फैलाती
धू-धू करती चिताएँ
मौत निगल गई  ज़िन्दगी को
देखते-देखते।

सन्नाटे को थर्राती एकाकी चीख़
बुझती हुई कांपती लौ
फिर सब कुछ शांत, निःशब्द, निस्पंद।
कैसा यह कहर,
तबाही का मंजर।

यह नीरवता,
मरघट सी उदासी
पढ़ रही मर्सिया
भोर के उजास के सपने देखती
हर ज़िन्दगी की
मौत पर।

विधाता दे दे मुझे
एहसास के कुछ क्षण
साहस और संबल
जीने के लिए।

© हिमकर श्याम

[तस्वीर रोहित कृष्ण की]

19 comments:

  1. मौसम का बदलाव भी अगर ये है तो इसका कारण इंसान ही है जिसने प्राकृति को अब तक तहस नहस ही किया है बार बार प्राकृति के सचेत करने पर भी ... दुःख की इस घड़ी में जितना हो सके सब आगे आयें ... प्रभू सब को संबल दे ... दिल को छूती है रचना ...

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  2. बहुत मर्मस्पर्शी रचना...काश इस विनास की धूल से निकले इंसान की एक नयी चेतना ...

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  3. बहुत ही मार्मिक रचना.

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  4. आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (01.05.2015) को (चर्चा अंक-1962)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है।

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    1. बहुत-बहुत आभार चर्चामंच पर स्थान देने के लिए

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  5. प्राकृतिक आपदाएँ मानव को चेताती रहती हैं.हाल ही की त्रासदी पर मर्मस्पर्शी कविता.
    नियति के आगे सब बेबस हैं.

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  6. बहुत ही शानदार रचना।

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  7. प्रकृति से छेड़छाड़ बहुत मांगी पड़ेगी , मंगलकामनाएं !

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  8. विधाता दे दे मुझे
    एहसास के कुछ क्षण
    साहस और संबल
    जीने के लिए।

    ...... चार शब्द और सब कुछ कह दिया गया है| बधाई

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  9. महेश वर्मा2 May 2015 at 17:13

    बहुत सार्थक और मार्मिक रचना ! तस्वीर भी बहुत कुछ बोल रही है!!

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  10. सामयिक रचना। ऐसे समय धीरज और साहस की ही जरूरत होती है।

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  11. बहुत सुन्दर भाव ..प्रभु अच्छाइयों को हर सम्भव सम्बल देगा ही ...
    भ्रमर ५

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  12. तबाही और दर्द का ऐसा मंजर मैंने अपनी आंखों से तो नहीं देखा। पर मैं उसकी भयावयत महसूस जरूर कर सकती हूं। काश आपकी यह रचना हम सबको अच्‍छा रहमदिल इंसान बनने की राह दिखाए।

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  13. मर्मस्पर्शी भावपूर्ण और सचेत कराती रचना।

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  14. मर्मिक सुन्दर स्रुजन

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  15. बहुत मार्मिक रचना

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  16. जय मां हाटेशवरी...
    अनेक रचनाएं पढ़ी...
    पर आप की रचना पसंद आयी...
    हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
    इस लिये आप की रचना...
    दिनांक 20/05/2016 को
    पांच लिंकों का आनंद
    पर लिंक की गयी है...
    इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।

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