राख, कितनी राख
बिखरी है चारों ओर!
ये सिसकियाँ-दहशतें, कांपता सन्नाटा
मलबे में दबी,
सड़ी-गली लाशें,
चिराइन गंध फैलाती
धू-धू करती चिताएँ
मौत निगल गई ज़िन्दगी को
देखते-देखते।
सन्नाटे को थर्राती एकाकी चीख़
बुझती हुई कांपती लौ
फिर सब कुछ शांत, निःशब्द, निस्पंद।
कैसा यह कहर,
तबाही का मंजर।
यह नीरवता,
मरघट सी उदासी
पढ़ रही मर्सिया
भोर के उजास के सपने देखती
हर ज़िन्दगी की
मौत पर।
विधाता दे दे मुझे
एहसास के कुछ क्षण
साहस और संबल
जीने के लिए।
© हिमकर श्याम
[तस्वीर रोहित कृष्ण की]
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मौसम का बदलाव भी अगर ये है तो इसका कारण इंसान ही है जिसने प्राकृति को अब तक तहस नहस ही किया है बार बार प्राकृति के सचेत करने पर भी ... दुःख की इस घड़ी में जितना हो सके सब आगे आयें ... प्रभू सब को संबल दे ... दिल को छूती है रचना ...
ReplyDeleteबहुत मर्मस्पर्शी रचना...काश इस विनास की धूल से निकले इंसान की एक नयी चेतना ...
ReplyDeleteबहुत ही मार्मिक रचना.
ReplyDeleteआपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (01.05.2015) को (चर्चा अंक-1962)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है।
ReplyDeleteबहुत-बहुत आभार चर्चामंच पर स्थान देने के लिए
Deleteप्राकृतिक आपदाएँ मानव को चेताती रहती हैं.हाल ही की त्रासदी पर मर्मस्पर्शी कविता.
ReplyDeleteनियति के आगे सब बेबस हैं.
बहुत ही शानदार रचना।
ReplyDeleteप्रकृति से छेड़छाड़ बहुत मांगी पड़ेगी , मंगलकामनाएं !
ReplyDeleteअतिमार्मिक रचना
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर स्वागत हैँ।
स्वागत व आभार
Deleteविधाता दे दे मुझे
ReplyDeleteएहसास के कुछ क्षण
साहस और संबल
जीने के लिए।
...... चार शब्द और सब कुछ कह दिया गया है| बधाई
बहुत सार्थक और मार्मिक रचना ! तस्वीर भी बहुत कुछ बोल रही है!!
ReplyDeleteसामयिक रचना। ऐसे समय धीरज और साहस की ही जरूरत होती है।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव ..प्रभु अच्छाइयों को हर सम्भव सम्बल देगा ही ...
ReplyDeleteभ्रमर ५
तबाही और दर्द का ऐसा मंजर मैंने अपनी आंखों से तो नहीं देखा। पर मैं उसकी भयावयत महसूस जरूर कर सकती हूं। काश आपकी यह रचना हम सबको अच्छा रहमदिल इंसान बनने की राह दिखाए।
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी भावपूर्ण और सचेत कराती रचना।
ReplyDeleteमर्मिक सुन्दर स्रुजन
ReplyDeleteबहुत मार्मिक रचना
ReplyDeleteजय मां हाटेशवरी...
ReplyDeleteअनेक रचनाएं पढ़ी...
पर आप की रचना पसंद आयी...
हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 20/05/2016 को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की गयी है...
इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।