Thursday, 28 May 2015

जन कल्याणी जयति जय, वंदन बारम्बार

(गंगा दशहरा पर )

उतर चली शिव शीश सेगोमुख सुरसरि द्वार
जन कल्याणी जयति जयवंदन बारम्बार

भू पर उतरी देवसरिकरती सबका त्राण
सगर सुतों की तारिणीजन मानस की प्राण
साथ भगीरथ के चलीलिए वेगमय धार
जन कल्याणी जयति जयवंदन बारम्बार

लहरों में आहंग लेअमिय कलश ले संग
कल-कल बहती बिन रुकेपाप नाशिनी गंग
अतिपावन सुखदायिनीअविरल अमृत धार
जन कल्याणी जयति जयवंदन बारम्बार

सप्त सरित में श्रेष्ठ तूनिर्मल तेरा नीर
कितने तीरथ हैं बसेगंगा तेरे तीर
तेरे चरण पखारतीधन्य भूमि हरिद्वार
जन कल्याणी जयति जयवंदन बारम्बार

सरस सलिल मंदाकिनीभारत की पहचान
समृद्धि संस्कृति दायिनीवसुधा को वरदान
जाति-धर्म सब पाटतीबाँटा करती प्यार
जन कल्याणी जयति जयवंदन बारम्बार

मोक्षदायिनी आज खुदव्यथित और लाचार
भगीरथी मैली हुईमंद हुई जलधार
जग की पालनहार काकौन करे उद्धार
जन कल्याणी जयति जयवंदन बारम्बार

गंगा जीवनदायिनीरखिए इसका मान
कूड़ा-कचरा डालकरमत करिए अपमान
सिसक रही है देखिएसुनिए करुण पुकार
जन कल्याणी जयति जयवंदन बारम्बार

सुख-दुख की जो सहचरीभूल गया इन्सान
सुधामयी अभिशप्त हैकरती विष का पान
रहे प्रदूषण मुक्त माँलौटे पावन धार
जन कल्याणी जयति जयवंदन बारम्बार

© हिमकर श्याम


(तस्वीर रोहित कृष्ण की)


32 comments:

  1. चर्चामंच पर स्थान देने के लिए धन्यवाद

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  2. बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी ...बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!शुभकामनायें.
    आपका ब्लॉग देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.

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    1. अवश्य, स्वागत व आभार

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  3. मोक्षदायिनी आज खुद, व्यथिथ और लाचार
    भगीरथी मैली हुई, मंद हुई जलधार
    जग की पालनहार का, कौन करे उद्धार
    जयति जय जन कल्याणी, वंदन बारम्बार
    समय के साथ चलती और शिक्षा प्रद सोचने पर मजबूर करती
    आभार

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    1. हार्दिक धन्यवाद

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  4. सुन्दर सीख देती , अच्छे शब्द सृजन के साथ माँ गंगे को पवित्र रखने का आह्वान करती अच्छी रचना
    भ्रमर ५

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  5. श्याम जी,
    बहुत सुन्दर रचना जिसमे मधुर लय ताल भी है !
    हमें हमारी प्राकृतिक धरोहरों का सम्मान करना नहीं आता क्या करे परिणाम
    हमारे सामने खड़े है ! एक बारीक शंका है "भू पर उतरी देवसरि, करती सबका त्राण"
    इस पंक्ति में करती सबका त्राण है या हरती सबका त्राण है ? समझी नहीं !

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    1. आ. सुमन जी, नमस्कार! आपकी सुन्दर और प्रेरक प्रतिक्रिया के लिए बहुत-बहुत आभारी हूँ. लिखते समय 'करती' और 'हरती' को लेकर मुझे भी थोड़ी दुविधा हो रही थी. मानक हिन्दी कोश में त्राण का अर्थ सहायता और किसी को विपत्ति या संकट से छुटकारा दिलाने या सुरक्षित रखने की क्रिया या भाव है. संक्षिप्त हिंदी शब्द सागर में इसका अर्थ रक्षा/बचाव/ हिफ़ाजत लिखा है. अंततः 'करती सबका त्राण' लिखना ठीक समझा. आगे भी अपने बहुमूल्य विचारों और सुझावों से अवगत कराते रहिएगा, धन्यवाद.

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  6. लाजवाब रचना। अच्छा लगा पढ़कर

    http://chlachitra.blogspot.in
    http://cricketluverr.blogspot.in

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    1. हार्दिक स्वागत, ब्लॉग अनुसरण करने के लिए तहेदिल से धन्यवाद!!

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  7. सप्त सरित में श्रेष्ठ तू, निर्मल तेरा नीर
    कितने तीरथ हैं बसे, गंगा तेरे तीर
    तेरे चरण पखारती, धन्य भूमि हरिद्वार
    जयति जय जन कल्याणी, वंदन बारम्बार ..
    हिमकर जी ... इस रचना को बारम्बार पढ़ कर भी तृप्ति नहीं हो रही है ... मधुर शब्द संचयन, सरस भाव और प्रवाह जैसे स्वयं माँ गंगे शब्दो में उतर कर बह रही हो ... बहुत समय बाद ऐसी कालजयी रचना पढने का अवसर मिल रहा है ... बहुत बहुत बधाई इस रचना के लिए ...

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    1. आपकी सकारात्मक प्रतिक्रिया से संबल मिला. प्रोत्साहन के लिए हृदय से आभार.

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  8. तब तो ठीक है शंका दूर हई, आभार :)

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  9. सुन्दर प्रस्तुति ...

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  10. सुन्दर भाषा व भाव से सजी प्रस्तुति
    वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह

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    1. हार्दिक स्वागत, ब्लॉग अनुसरण करने के लिए तहेदिल से धन्यवाद!!

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  11. sahaz,sundar,saral prastuti....

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  12. सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार..
    मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका इंतजार...

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  13. बहुत ही अध्‍यात्मिक पोस्‍ट।

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  14. ganga ke pavitrata ko aaj kachara dal kar hum nasht kar rahe hain.. maa ganga ki sunder mahima.. bahut sundar rachana aapne ki hai.

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  15. शब्दों ओर भावों का लाज़वाब संयोजन..बहुत सुन्दर वंदना...

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  16. सुन्दर भावों से परिपूर्ण बहुत सुन्दर रचना !

    इस आस्था को सादर नमन के साथ
    ज्योत्स्ना शर्मा

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  17. सराहना तथा प्रोत्साहन के लिए हृदय से धन्यवाद एवं आभार !
    ~सादर

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  18. बहुत ही सुंदर रचना
    बहुत ही सुंदर भाव
    हार्दिक बधाई

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