मौसम की सौगात सजन
मनभावन बरसात सजन
छम-छम करती अमराई
गुमसुम नदियाँ लहराई
तृण-तृण छाई हरियाली
बहके पुरवा मतवाली
पात-पात मदमात सजन
मनभावन बरसात सजन
खिली वसुधा कर श्रृंगार
मन मगन गाये मल्हार
खुले मोरपंख सुनहरे
किसने इतने रंग भरे
मेघों की बारात सजन
मनभावन बरसात सजन
इन्द्रधनुष नभ पर छाये
चंचल चपला इठलाये
घन खेले आँख मिचौली
संग चाँद के अठखेली
पुलकित मनुआँ गात सजन
मनभावन बरसात सजन
गम और ख़ुशी का समास
कहीं उदासी, कहीं हास
कहीं दिखे है प्रीत रंग
कहीं मचलता है अनंग
छलक रहे जज्बात सजन
मनभावन बरसात सजन
छाये बादल कजरारे
खड़ा कदँब बाँह पसारे
कान्हा की वंशी बोले
हर्षित मन राधा डोले
दिल से दिल की बात सजन
मनभावन बरसात सजन
मेघ झरे, जियरा धड़के
गीली पलकें, दृग छलके
तुम बिन सूना घर आँगन
पिया मिलन की लगी लगन
बूँदे करती घात सजन
मनभावन बरसात सजन
© हिमकर श्याम
(चित्र गूगल से साभार)
बेहतरीन वर्षा गीत वर्ष ऋतु का स्वागत है पर दिल्ली में अभी तक नहीं बरसा
ReplyDeleteआभार, दुआ करता हूं कि जल्द ही दिल्ली में भी जमकर बरसेंगे मेघ ...
Deleteसुन्दर चित्र खींचता गीत बहुत बढ़िया
ReplyDeleteहार्दिक आभार
Deleteबारिश के स्वागत पे बढ़िया कविता,यहाँ भी पधारिये
ReplyDeletehttp://ghoomofiro.blogspot.in/
धन्यवाद
Deleteइन्द्रधनुष नभ पर छाये
ReplyDeleteचंचल चपला इठलाये
घन खेले आँख मिचैली
संग चाँद के अठखेली
पुलकित मनुआँ गात सजन..
बहुत ही सुन्दर नव गीत ... बरखा में मन मयूर वैसे ही पुलकित हो नाच उठता है ... प्रेम भी अंगडाई लेने लगता है ... चंचल चपला और चान बादल हर कोई अठखेलियाँ करता है ... मनमोहक चित्र इन शब्दों से आँखों के सामने उतार दिया आपने ...
हृदय से धन्यवाद आपका
Deleteबेहतरीन वर्षा गीत ...
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteआप के इस गीत ने बारिश की पूरी तस्बीर बना दी। बहुत सुंदर ।
ReplyDeleteये लिंक चर्चा के लिए ली हूँ
ReplyDeleteबहुत-बहुत आभार आदरणीया
Deleteआभार
ReplyDeleteखिली वसुधा कर श्रृंगार
ReplyDeleteमन मगन गाये मल्हार
खुले मोरपंख सुनहरे
किसने इतने रंग भरे
मेघों की बारात सजन
मनभावन बरसात सजन
… बहुत सुन्दर
हार्दिक आभार
Deleteबहुत सुन्दर और भावपूर्ण गीत...
ReplyDeleteहार्दिक आभार
ReplyDeleteश्याम जी,
ReplyDeleteबहुत प्यारा मनभावन वर्षा गीत है जिसमे लय है ताल है काश की संगीतबद्ध भी किया जाता
खैर, धरती जब अपने आकाशरूपी प्रियतम के विरह में गलती पिघलती है तब आकाश को भी अपनी नीलाभ अलिप्तता छोड़कर बरसना पड़ता है प्रेम की रीत यही है शायद, प्रेम लौकिक हो या अलौकिक निश्चित इसका संबंध बारिश से है ! मन को छू गयी आपकी यह रचना ! पोस्ट पर सार्थक टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार !
बहुत खूबसूरत बात कही है आपने। सच में बरसात और सावन प्रेम के मधुर रिश्ते को और अधिक महका देता है। सराहना के लिए आभार।
Deletekhubsurat geet...bs barsat ka aanand de gai.
ReplyDeleteसुंदर चर्चा....
ReplyDeleteआदरणीय विवा आंटी द्वारा http://www.halchalwith5links.blogspot.com पर लिंक की गयी आप की रचना पढ़कर मन प्रसन्न हुआ...
आभार।
स्वागत व आभार
Deleteपिया मिलन की लगी लगन
ReplyDeleteबूँदे करती घात सजन
मनभावन बरसात सजन
हर एक पंक्ती दिल को छु गई ....बहुत ही सुन्दर लिखा है
आभार
Deleteबहुत ही प्यारा गीत लिखा है आपने.
ReplyDeleteआभार
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