खिड़कियों से झाँकती है रोशनी नए साल की
आ गयी फिर वो घड़ी है शाम इस्तकबाल की
चार दिन की चाँदनी यह फिर अँधेरी रात है
ज़िंदगी की राह मुश्किल, फ़िक्र आटे दाल की
याद बन के रह गयीं घड़ियाँ पुराने साल की
धड़कने गिन- गिन के रखिए हर साल की
आँकड़े कुछ और कहते पर हकीकत कुछ अलग
सर-ब-सर क़िस्सा वही है, बात क्या तिमसाल की
दिन, महीने, साल गुजरें हाल अपना बस वहीं
ज़िक्र क्या करिए किसी से सैकड़ों जंजाल की
रोज मुश्किल इक नयी है ज़िंदगी के सामने
है किसे फुर्सत यहाँ जो सुन सके बेहाल की
साल-ए-नौ से हैं उमीदें साल-ए-माजी की तरह
उग रहा सूरज नया, शुरुआत अब इसमाल की
भूल कर सारे गमों को मुस्कुरा 'हिमकर' जरा
खूँटियों पर टाँग दे सब याद बीते साल की
[नया साल आपके और आपके अपनों के जीवन में सुख, समृद्धि, सफ़लता और आरोग्य लेकर आए...
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...]
© हिमकर श्याम
(चित्र गूगल से साभार)
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बहुत सुंदर.
ReplyDeleteनव वर्ष की शुभकामनाएं !
खूँटियों पर टाँग दे सब याद बीते साल की
ReplyDeleteसाल-ए-नव से हैं उमीदें साल-ए-माजी की तरह
ReplyDeleteउग रहा सूरज नया, शुरुआत अब इसमाल की
बहुत ही आशावादी ग़ज़ल कही है नए साल के स्वागत में....अच्छी लगी.
बहुत सुंदर.....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और सार्थक अभिव्यक्ति...नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं!
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 07-01-2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2214 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
शुक्रगुज़ार हूँ
Deleteबहुत सुन्दर पंक्तियां ....
ReplyDeleteस्वागत है आपका. तहे दिल से शुक्रिया.
Deleteभूल कर सारे गमों को मुस्कुरा 'हिमकर' जरा
ReplyDeleteखूँटियों पर टाँग दे सब याद बीते साल की
यही सत्य है हर गम को भुलाकर हमें मुस्कुराना होगा !
यथार्थ परक रचना, बहुत बहुत शुभकामनायें आपको !
बहुत सुन्दर ...नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं!
ReplyDeleteभूल कर सारे गमों को मुस्कुरा 'हिमकर' जरा
ReplyDeleteखूँटियों पर टाँग दे सब याद बीते साल की
बहुत सही हिमकर जी।
माना कि जिंदगी हर कदम जंग है, पर फिर भी तो हमें जीतने की उमंग है।
शुभ नव-वर्ष।
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति..!
ReplyDeleteसुन्दर व सार्थक रचना ..
ReplyDeleteनववर्ष की बधाई!
मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है...
नववर्ष की बेला पर सुंदर रचना की प्रस्तुति।
ReplyDeleteसराहना तथा प्रोत्साहन के लिए आप सभी का हृदय से धन्यवाद एवं आभार !
ReplyDelete~सादर
बहुत सुंदर
ReplyDeleteस्वागत है आपका. तहे दिल से शुक्रिया.
Deleteक्या बात है ... हर साल पुराने साल की कडवी बातें खूंटियों पे टाँगे की जरूरत है ... नए साल के आगाज़ पे सुन्दर रचना ...
ReplyDeleteशुक्रगुज़ार हूँ
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