जोगीरा सारा रारारा...!!!
चरचा में है कांड वसूली, अघाड़ी परेशान।।
परमबीर के लेटर बम से, सियासी घमासान।
जोगीरा सारा रारारा...!!!
रवींदर सा दिक्खे नरेंदर, बदला जब से वेश।
सत्याग्रह भी ट्रेंड हुआ है, भौचक बंगलादेश।।
जोगीरा सारा रारारा...!!!
एक रात में कटा प्लास्टर, खुली ढोल की पोल।
वैरी जन ट्विटर पर कहते, दीदी का सब झोल।।
जोगीरा सारा रारारा...!!!
एलजी के हाथों में पावर, सत्ता की तकरार।
नाराज़ केजरी माँग रहे, वापस दो अधिकार।।
जोगीरा सारा रारारा...!!!
हुई सदन में धक्का-मुक्की, जम जूतम पैजार।
नेताओं की गुंडागर्दी, शर्मनाक व्यवहार।।
जोगीरा सारा रारारा...!!!
तेल गैस सब उछल रहा है, बढ़े दाम दिन-रात।
राष्ट्रप्रेम में भूल गए सब, महंगाई की बात।।
जोगीरा सारा रारारा...!!!
बैंक बिकेगा, भेल बिकेगा, और बिकेगा रेल।
प्रश्न करेगा कोई जब तो, पहुँचा देंगे जेल।।
जोगीरा सारा रारारा...!!!
खूँटा गाड़े टिकैत बैठा, हल के बिना किसान।
मुँह फेरे शासक है बैठा, अड़ियल है परधान।।
जोगीरा सारा रारारा...!!!
कीचड़ पर ही भिनके माखी , खिले कमल का फूल।
मुकुल- शुभेंदु भगवाधारी, बिखर गया तृण मूल।।
जोगीरा सारा रारारा...!!!
संघ भवन से चलती देखो, कॉरपोरेट सरकार।
जोर लगाता पप्पू लेकिन, खिसक रहा आधार।।
जोगीरा सारा रारारा...!!!
© हिमकर श्याम
(चित्र गूगल से साभार)
(चित्र गूगल से साभार)
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteरंग भरी होली की शुभकामनाएँ।
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (31-03-2021) को "होली अब हो ली हुई" (चर्चा अंक-4022) पर भी होगी।
ReplyDelete--
मित्रों! कुछ वर्षों से ब्लॉगों का संक्रमणकाल चल रहा है। परन्तु प्रसन्नता की बात यह है कि ब्लॉग अब भी लिखे जा रहे हैं और नये ब्लॉगों का सृजन भी हो रहा है।आप अन्य सामाजिक साइटों के अतिरिक्त दिल खोलकर दूसरों के ब्लॉगों पर भी अपनी टिप्पणी दीजिए। जिससे कि ब्लॉगों को जीवित रखा जा सके। चर्चा मंच का उद्देश्य उन ब्लॉगों को भी महत्व देना है जो टिप्पणियों के लिए तरसते रहते हैं क्योंकि उनका प्रसारण कहीं हो भी नहीं रहा है। ऐसे में चर्चा मंच विगत बारह वर्षों से अपने धर्म को निभा रहा है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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वाह ! वर्तमान हालातों का यथार्थ चित्रण
ReplyDeleteबहुत सटीक....
ReplyDeleteसमसामयिक हालातों पर बहुत ही लाजवाब व्यंग।
वाह!!!
हिम कर जी, बहुत बढ़िया तेज़ कसा और वो भी जोगीरा सारा रारा के बहाने...वाह
ReplyDeleteवाह!खूब खूली ढ़ोल की पोल ।
ReplyDeleteमोहक सृजन।
समसामयिक परिस्थितियों पर सटीक सृजन ।
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया कहा ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteसमसामयिक यथार्थवादी रचना
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