Friday, 29 November 2013

बिटिया


खुशबुएँ बिखरी हवा में
है चहक उसकी फिजा में
नर्म नाजुक इक कली सी
और चँचल है नदी सी
वो हँसे तो चाँद हरसे
आसमां से नूर बरसे
वो बला की खूबसूरत
ख़्वाब है या है हकीक़त
हर अदा उसकी सुहानी
वो लगे परियों की रानी
बज उठा है साज सारा
खिल गया आँगन हमारा
माँ लिए बाँहों के झूले
तक रही हर दर्द भूले
घर में रौनक लायी गुड़िया
है बड़ी अनमोल बिटिया    
 हिमकर श्याम



  
( 22  नवंबर को हमारे घर में एक नन्ही परी आई है, बिटिया आई है. रविकर, लता और बिटिया को ढेरों स्नेहाशीष...)  
 

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