Saturday 28 February 2015

रंग नहीं होली के रंगों में

        (चित्र गूगल से साभार)

फिर बौरायी मंजरियों के बीच
कोयल कूकी,
दिल में एक टीस उठी
पागल भोरें मंडराने लगे,
अधखिली कलियों के अधरों पर
पलाश फूटे या आग
किसी मन में,
चूड़ी की है खनक कहीं,
कहीं थिरकन है अंगों में,
ढोल-मंजीरों की थाप
गूंजती है कानों में
मौसम हो गया है अधीर,
बिखर गये चहूं ओर रंग-अबीर
पर बिन तुम्हारे
रंग नहीं होली के रंगों में |

© हिमकर श्याम


15 comments:

  1. बहुत सुंदर रचना.रंगोत्सव पर अपनों के बीच ही रंग निखरता है.
    नई पोस्ट : ईमान बिकता नहीं

    ReplyDelete
  2. सच में जब अपना पास न हो तो होली भी कितनी बेरंग हो जाते है...नहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना..

    ReplyDelete
  3. आप की यह होलीमय रंग बिरंगी रचना पढ़कर लगा फागुन आ गया है ...कोयल /ढोल मंजीरे .....आह!
    यहाँ तो सब शांत है कोई हलचल नहीं ..इसलिए आप की इस रचना ने याद दिला दिया कि होली आने वाली है ...
    रंगोत्सव का आनन्द लिजीये और बस ..गुजिया हमारे लिए भी रख दीजियेगा :) होली मुबारक हो!

    ReplyDelete
    Replies
    1. अपने वतन और अपनी माटी से दूर होली की हलचल कैसे महसूस होगी भला ? तमाम बदलाव के बावजूद अपने देश की होली की बात ही निराली है। यहाँ होली की दस्तक सुनाई देने लगी है। आपकी गुझिया रखी रहेगी, साथ में मालपुए भी।मंगलकामनाएँ!!

      Delete
  4. पर बिन तुम्हारे
    रंग नहीं होली के रंगों में।
    होली पर सुंदर प्रस्तुति।

    ReplyDelete
  5. पर तुम्हारे बिना
    रंग नहीं होली के रंगों में। बहुत सुंदर होली बिरहा।

    ReplyDelete
  6. सच है प्रेम न हो तो रंग फीके लगते हैं सारे ... प्रेम के रंग में रची रचना ...

    ReplyDelete
  7. बहुत खूब, मंगलकामनाएं आपको !

    ReplyDelete
  8. सही है प्रिय बिन सब है रंग हीन ...बहुत सुन्दर प्रस्तुति l
    न्यू पोस्ट हिमालय ने शीश झुकाया है !
    न्यू पोस्ट अनुभूति : लोरी !

    ReplyDelete
  9. पर बिन तुम्हारे
    रंग नहीं होली के रंगों में |
    सच हैं कभी - कभी ऐसा भी होता हैं जीवन में

    http://savanxxx.blogspot.in

    ReplyDelete
  10. सही बात है। कभी कभी जीवन में ऐसा होता है। बहुत ही बेहतरीन रचना।

    ReplyDelete
  11. प्रेम के रंग में रची रचना . ...मंगलकामनाएं :)

    ReplyDelete
  12. @राजीव कुमार झा जी, डॉ. मोनिका शर्मा जी, Kailash Sharma ji, Asha Joglekar ji, Digamber Naswa ji, Satish Saxena ji, कालीपद "प्रसाद" जी, Onkar ji, savan kumar ji, कहकशां खान जी, संजय भास्‍कर जी, Vandana Ramasingh ji, सराहना तथा प्रोत्साहन के लिए आप सभी का हृदय से धन्यवाद एवं आभार !
    ~मंगलकामनाएँ

    ReplyDelete

आपके विचारों एवं सुझावों का स्वागत है. टिप्पणियों को यहां पर प्रकट व प्रदर्शित होने में कुछ समय लग सकता है.