Thursday 9 April 2015

उस मोड़ पर


मील के पत्थर गवाह हैं 
उस यात्रा के 
तय किया था हमने कभी
जो साथ-साथ
उस यात्रा की निशानियाँ
मौजूद हैं
आज भी उस राह पर
तुम्हारे स्पर्श की खुशबू
मौजूद है
उन फिजाओं में अब तक
लिखी है हर शै पर
प्यार की गाथा
देते हैं गवाही
पक्षी, बादल, पेड़, आकाश

चाहतों की पोटली 
काँधे पर उठाए
अनगिनत सपने 
मुट्ठी में छिपाए
निकल आये थे हम
दुनिया से बहुत दूर
उसी राह पर लिखा था  
मुहब्बत का पहला गीत
दरख्तों पर लिखी थी   
इश्क़ की प्यारी नज़्म 

और एक दिन
आया मोड़ अनचाहा
रह गया कुछ अनकहा 
वक़्त ने रची
हमारे खिलाफ
कुछ ऐसी साजिश
कि मौन हो गई
प्यार की मधुर कविता
बेसुरे हो गये गीत 
जुदा हो गए राह हमारे
अलग हो गयीं दिशाएँ
छूट गया साथ
हमेशा-हमेशा के लिए

फिर भटकता रहा मैं
दिशाहारा परिंदे की तरह
यहाँ-वहाँ
न जाने कहाँ-कहाँ
मिली नहीं कभी  
मंजिल मुझको
है मगर दिल में यकीन
पहुँच गयी होगी तुम
अपनी मंजिल तक

देखता हूँ मुड़कर
उस राह को अक्सर
सोचता हूँ रुक कर
उस मोड़ पर
कि जो हुआ उसे यूँ ही
होना था या और भी
कुछ हो सकता था।

© हिमकर श्याम

(तस्वीर मेरे छोटे भाई रोहित कृष्ण की, जिसे फोटोग्राफी बेहद पसंद है)

37 comments:

  1. जीवन का रंग ये भी । कई बार समय और परिस्थितियां रिश्तों की दिशा तय करती हैं ।
    Well worded and a beautiful click....

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  2. जीवन के रंग अलग-अलग हैं.
    नई पोस्ट : इक हंसी सौ अफ़साने

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  3. कभी अनचाहा कुछ ऐसा ही हो जाता है
    हाँ मनचाहा साथ हो तो आसानी से जिंदगी का सफर तय हो जाता है !
    बहुत सुन्दर रचना, भाई की फोटोग्रफी सुन्दर है इस कविता के अनुरूप चित्र है !

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    1. हृदय से आभार, आदरणीया!

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  4. बहुत खूब
    मंगलकामनाएं आपको !

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    1. हृदय से आभार आदरणीय !

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  5. शायद यही जीवन यात्रा है जहां हर मोड़ एक चाहे अनचाहे सम्बन्ध दे जाता है और कुछ मुड़ जाते हैं किसी और दिशा में ..बहुत सुन्दर रचना...

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    1. हृदय से आभार आदरणीय !

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  6. हार्दिक मंगलकामनाओं के आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल शनिवार (11-04-2015) को "जब पहुँचे मझधार में टूट गयी पतवार" {चर्चा - 1944} पर भी होगी!
    --
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. चर्चामंच पर स्थान देने के लिए धन्यवाद, आदरणीय !

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  7. बेहतरीन पंक्तियाँ

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  8. अक्सर हो जाने के बाद के बाद ऐसा ही लगता है की क्या कुछ और भी हो सकता था .... जो होता है उससे इंसान संतुष्ट भी कहाँ रह पाता है ... गहरे प्रेम और विरक्ति का भाव लिए संवेदनशील रचना ...

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  9. अहसासों से लवरेज़..अंतर्मन की तह से लिखी बेहद संवेदनशील रचना। सैंकड़ों दिलों में कुछ ऐसी ही टीस, कुछ ऐसी ही कसक हिलोरें ले रही है।

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  10. बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!शुभकामनायें.

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  11. जीवन में हर मोड़ कुछ न कुछ नया ले के आता है,शुभकामनायें
    बहुत बढ़िया कविता

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  12. बहुत भावपूर्ण ,सुन्दर प्रस्तुति !

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    1. हृदय से आभार, आदरणीया!

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  13. सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार..

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  14. जीवन में एक ैसा मोड आता है जब अपने पराये हो जाते हैं। पर जीवन चलता रहता है चलना चाहिये भी। दिल पर एक दाग लेकर ही सही।

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    1. हृदय से आभार, आदरणीया!

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  15. सचमुच मील के पत्‍थर गवाह हैं हमारी जिंदगी के।

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  16. सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार..
    मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका इंतजार...

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  17. स्वागत व आभार !

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  18. वाह! बहुत खूब लिखा है आपने! गहरी सोच के साथ शानदार रचनाएँ और साथ ही सुन्दर चित्र के साथ उम्दा प्रस्तुती!

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  19. बेहतरीन। बढ़िया ब्लॉग और एक से बढ़कर एक सुंदर रचनाएँ

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    1. स्वागत है आपका...ब्लॉग से जुड़ने और बहुमूल्य प्रतिक्रिया के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद!!

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