दिल की बातें पढ़तीं माएँ
दर्द भले हम लाख छुपाएँ
दर्द भले हम लाख छुपाएँ
रहती हरदम साथ दुआएँ
हर लेती सब कष्ट बलाएँ
हर लेती सब कष्ट बलाएँ
नाम कई एहसास वही है
इक जैसी होती सब माएँ
इक जैसी होती सब माएँ
फ़ीके लगते चाँद सितारे
माँ के जैसा कौन बताएँ
माँ के जैसा कौन बताएँ
सारी पीड़ा हँस के सहती
कर देती माँ माफ़ ख़ताएँ
कर देती माँ माफ़ ख़ताएँ
माँ का रिश्ता सबसे प्यारा
रब से ऊपर होतीं माएँ
रब से ऊपर होतीं माएँ
ममता का कोई मोल नहीं
कैसे माँ का क़र्ज़ चुकाएँ
कैसे माँ का क़र्ज़ चुकाएँ
© हिमकर श्याम
(तस्वीर और रेखाचित्र मेरे भाँजे अंशुमान आलोक की)
बहुत सुन्दर रचना ।
ReplyDeleteमाँ से बढ़ कर कुछ नहीं है .बहुत सुंदर ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर |
ReplyDeleteसुंदर पंक्तियाँ
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (10-05-2016) को "किसान देश का वास्तविक मालिक है" (चर्चा अंक-2338) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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मातृदिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभारी हूँ
Deleteमाँ होती है सबसे अच्छी
ReplyDeleteउससे अच्छा कौन बतायें।
नाम कई एहसास वही है
ReplyDeleteइक जैसी होती सब माएँ
...बहुत सुन्दर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति...
नाम कई एहसास वही है
ReplyDeleteइक जैसी होती सब माएँ
umda rachna :)
सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार!
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है...
मां का दर्जा सबसे ऊंचा होता है। यह सोलह आने सच्ची बात है। हमें यह बताया जाता है कि मां के पैरों के नीचे जन्नत होती है। इसलिए हमें कभी उसे दुख नहीं पहुंचाना चाहिए।
ReplyDeleteबेहद सुंदर रचना। रब क्या है ये भी सिखाती माँएं।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteमाँ माँ होती है ... जितना भी कहा जाए कम है उसके बारे में ...
ReplyDeleteनमन है माँ को ...
बेहद सुंदर रचना :)
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