Friday, 1 July 2016

चल सको तो चलो साथ मेरे उधर



हमसफ़र भी नहीं है न है राहबर
चल सको तो चलो साथ मेरे उधर

मेरे हालात से तुम रहे बेख़बर
हाल कितना बुरा है कभी लो ख़बर

साथ कुछ देर मेरे जरा तो ठहर
मान जा बात मेरी ओ जाने ज़िगर

याद तेरी सताती हमें रात भर
जागते जागते हो गयी फिर सहर

दिल पे करते रहे वार पे वार तुम
और चलाते रहे अपनी तीरे नज़र

तुमको जीभर के हमने न देखा कभी
वस्ल की साअतें थीं बड़ी मुख़्तसर

भूल सकता नहीं उनको हिमकर कभी
ज़ख्म दिल के भला कैसे जाएँगे भर


© हिमकर श्याम



[तस्वीर : फोटोग्राफिक क्लब रूपसी के अध्यक्ष श्रद्धेय डॉ सुशील कुमार अंकन जी की]


11 comments:

  1. बहुत सुन्दर ग़ज़ल ,बधाई आपको हिमकर श्याम जी |

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  2. बहुत खूब बधाई हिमकर श्याम जी ! जिस रचना को आदरनीय कालीपद "प्रसाद" जी द्वारा पसंद किया गया हो भला हम जैसे तो छोटे भाई हैं |

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  3. बहुत ख़ूब ...उनकी यादों में रात sahar तो होनी ही है ... बहुत लाजवाब शेर हैं इस सादा bahar में ...

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  4. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (03-07-2016) को "मीत बन जाऊँगा" (चर्चा अंक-2392) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  5. वाह ! लाजवाब।

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  6. वाह, बहुत खूब

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  7. जय मां हाटेशवरी...
    अनेक रचनाएं पढ़ी...
    पर आप की रचना पसंद आयी...
    हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
    इस लिये आप की रचना...
    दिनांक 08/07/2016 को
    पांच लिंकों का आनंद
    पर लिंक की गयी है...
    इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।

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  8. जय मां हाटेशवरी...
    अनेक रचनाएं पढ़ी...
    पर आप की रचना पसंद आयी...
    हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
    इस लिये आप की रचना...
    दिनांक 08/07/2016 को
    पांच लिंकों का आनंद
    पर लिंक की गयी है...
    इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।

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  9. वाह बहुत बढ़िया ग़ज़ल

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