Sunday 12 January 2014

तुम - ?


जब भी अपनी कविताओं में
बांधना चाहता हूं
शब्द।
एक चेहरा बार-बार
अपने भीतर
उतरता हुआ महसूस
होता है,
ठीक वैसा ही आकार लेता हुआ
जैसे कि तुम- ?
चुपके से आकर मेरे कानों में
कहती हो-
किसे बांधना चाहते हो
अपनी कविताओं में-
खुद को,  मुझे या दर्द को ?



8 comments:

  1. किसे बांधना चाहते हो
    अपनी कविताओं में-
    खुद को, मुझे या दर्द को ?

    .......क्या बात है ?

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  2. फुर्सत मिले तो कभी हमारी देहलीज़ पर भी आये संजय भास्कर
    http://sanjaybhaskar.blogspot.in

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    1. अवश्य...यह मेरे लिए खुशी की बात होगी...

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  3. हार्दिक आभार संजय भास्कर जी.

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  4. दिल को छू लेनेवाली रचना..
    बेहद सुन्दर...
    http://mauryareena.blogspot.in/

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    1. प्रतिक्रिया लिए ह्रदय से आभार...

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  5. बंधन की परवाह किसे है?
    उडान की चाह हमें है
    उड़ने की चाहत में,
    बंधन खोल
    आजाद कर दूँ
    विचारों को, शब्दों को, दर्द को

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    1. बहुत खूब...धन्यवाद...

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