(चित्र गूगल से साभार)
रहज़न बने हुए हैं शहरयार, देखिए
वैसाखियों पे चल रही सरकार, देखिए
तारीकियां, तबाहियां, जुल्म़ों सितम, बला
कब तक रखेंगे मुल्क को बीमार देखिए
ख़ुश हो रहे हैं लोग अब ईमान बेच कर
ये रिश्वतों पे चल रहे व्यापार, देखिए
पहुंचा है किस मुक़ाम पे तर्ज़े अमल यहां
हर ऐब हुक्मरां के हैं नमुदार देखिए
जाती नहीं सदा कोई गद्दी नशीन तक
सबने उठाई राह में दीवार, देखिए
अब तो हदे निगाह में मायूसियां फ़क़त
सब झूठे दम दिलासे से आज़ार, देखिए
हर दिन बदल रही यहां शर्ते हयात की
हर शख़्स अपने हाल से बेज़ार, देखिए
बेकार की बहस में रहे उलझे हुक्मरां
उनका नहीं है हमसे सरोकार, देखिए
गर्दे सफ़र है साथ में, बिछड़ा है कारवां
फ़ाक़ों में दब के रह गये रहवार, देखिए
जम्हूरियत का शोर है जम्हूरियत कहां
अब तक नहीं मिला हमें अधिकार, देखिए
'हिमकर. तो अपने हाल पे हंसता हुआ मिला
वो कर रहा है दर्द का इजहार, देखिए
(एक पुरानी रचना नए
रूप में)
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हर शब्द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
ReplyDeleteगणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ..
संजय भास्कर
http://sanjaybhaskar.blogspot.in
हार्दिक आभार :)
Deleteवाह ! हर इक शे'र लाजवाब …… !!
ReplyDeleteशिराज़ जी कमाल लिखते हैं ....
सॉरी हिमकर जी ....:))
ReplyDelete@ हरकीरत हीर जी, बहुत-बहुत शुक्रिया आपका...सॉरी कहने की कोई जरूरत नहीं.
Deleteसुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDelete•٠• गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ... •٠• के साथ ललित वाणी ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।
अब तो हदे निगाह में मायूसियां फ़क़त
ReplyDeleteसब झूठे दम दिलासे से आज़ार, देखिए
....वाह! बहुत सटीक अभिव्यक्ति...हरेक शेर आज की सच्चाई बयाँ करता हुआ...
बहुत ही बेहतरीन लिखते है आप.
ReplyDeleteबहुत ही लाजवाब रचना...
आप सबों का हार्दिक आभार!
ReplyDeleteबहुत खूब आदरणीय!.....खासतौर से यह पक्तियां तो लाजवाब है.............
ReplyDeleteजम्हूरियत का शोर है जम्हूरियत कहां
अब तक नहीं मिला हमें अधिकार, देखिए...........................राजनीति तंत्र को आईना दिखाती हुई रचना........
शुक्रिया आपका …
Deleteआपकी इस उत्कृष्ट अभिव्यक्ति की चर्चा कल रविवार (25-05-2014) को ''ग़ज़ल को समझ ले वो, फिर इसमें ही ढलता है'' ''चर्चा मंच 1623'' पर भी होगी
ReplyDelete--
आप ज़रूर इस ब्लॉग पे नज़र डालें
सादर
अभी जी, चर्चा मंच पर ग़ज़ल लेने के लिए तहे दिल से शुक्रिया...
Deleteबढ़िया खूबसूरत लेखन व रचनाएं , आदरणीय श्याम सर धन्यवाद !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
शुक्रिया आपका …
Deleteजम्हूरियत का शोर है जम्हूरियत कहां
ReplyDeleteअब तक नहीं मिला हमें अधिकार, देखिए
वाह, वाह । बहुत खूब लिखा है हिमकर जी।
शुक्रिया आपका
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