Sunday, 2 February 2014

वो चेहरा नजर आएगा













आपके बीते हुए कल में
एक नाम मेरा भी था
खंगालिए, यादों को जरा
वो चेहरा नजर आएगा


जीवन की आपाधापी में
बिखर गयीं सारी कड़ियां
खोलिए, अतीत के द्वार
गुजरा दौर नजर आएगा

वही सूरत, वही सोच
वही खूबियां हैं रगो में
झांकिए, दिल में एक बार
वही दोस्त नजर आएगा

© हिमकर श्याम
(चित्र गूगल से साभार)



12 comments:

  1. झांकिए, दिल में एक बार
    वहीं दोस्त नजर आएगा.....उम्दा रचना बधाई ....उदय

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  2. अहसासों को बखूबी पिरोया है इस कविता में.
    अच्छी लगी यह रचना.

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  3. जीवन की आपाधापी में
    बिखर गयीं सारी कड़ियां
    ...लाज़वाब....सकारात्मक सोच लिए बहुत उत्कृष्ट अभिव्यक्ति...

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  4. बहुत खूब ... दिल में झांकना जरूरी है कुछ पल को रुकना जरूरी है अपनों को खोजना जरूरी है ...

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  5. बहुत ही सुन्दर रचना....
    :-)

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  6. आप अपने ब्लॉग पर फॉलोवर्स का आप्शन लगाइये ..
    जिससे हमें समय समय पर आपके रचनाओ कि जानकारी मिलती रहेगी.

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  7. Bhut khub..

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  8. बसंत पंचमी कि हार्दिक शुभकामनाएँ आपको....
    http://mauryareena.blogspot.in/
    :-)

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  9. जीवन की आपाधापी में
    बिखर गयीं सारी कड़ियां
    खोलिए, अतीत के द्वार
    गुजरा दौर नजर आएगा
    ....बहुत ख़ूबसूरत प्रस्तुति...

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  10. लाजबाब। बहुत उम्दा अभिव्यक्ति ।

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  11. @ उदय जी, हार्दिक आभार
    @ अल्पना जी, आपकी प्रतिक्रियाएं उत्साह बढ़ातीं हैं. स्नेह बनाएं रखें.
    @ संजय जी, शुक्रिया
    @ दिगंबर नासवा जी, आपकी प्रतिक्रिया पढ़कर प्रसन्नता हुई. हार्दिक आभार
    @ रीना जी, सुझाव भरी प्रतिक्रिया और ब्लॉग से जुड़ने के लिए हार्दिक आभार.
    @ राजीव जी, बहुत बहुत धन्यवाद
    @ धन्यवाद पुष्कर
    @ कैलाश जी, सराहना और ब्लॉग से जुड़ने के लिए धन्यवाद
    @ धीरेन्द्र जी, आभार

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