अज़मे सफ़र सरों पे उठाना है
दूर तक
ले ज़िन्दगी को साथ में जाना है दूर तक
परछाइयां भी छोड़ गयी साथ अब मेरा
पर ग़म को मेरा साथ निभाना है दूर तक
जी भर के ज़िन्दगी से करें प्यार कैसे हम
आहो व आंसुओं का ख़ज़ाना है दूर तक
जिस राह पे खड़ी थीं हवाएं वो सिरफिरी
उस राह पे चराग जलाना है दूर तक
ये जिन्दगी नहीं है वफाओं का सिलसिला,
सांसों के टूटने का फसाना है दूर तक
आता नहीं करार दिले बेकरार को
बेचैनियों को अपनी भुलाना है दूर तक
©हिमकर श्याम
(चित्र गूगल से
साभार)
अज़मे सफ़र : सफ़र का संकल्प
ये जिन्दगी नहीं है वफाओं का सिलसिला,
ReplyDeleteसांसों के टूटने का फसाना है दूर तक
आता नहीं करार दिले बेकरार को
बेचैनियों को अपनी भुलाना है दूर तक..
बहुत खूब....
सहज, सरल शब्दों में लिखी मन को छू जाने वाली सुन्दर पंक्तियों के लिए हार्दिक बधाई...|
ReplyDeleteपरछाइयां भी छोड़ गयी साथ अब मेरा
ReplyDeleteपर ग़म को मेरा साथ निभाना है दूर तक ..
बहुत खूब ... लाजवाब शेर कहा है ये ... वैसे पूरी गज़ल मस्त है ...
जिस राह पे खड़ी थीं हवाएं वो सिरफिरी
ReplyDeleteउस राह पे चराग जलाना है दूर तक
...बहुत खूब...सभी अशआर दिल को छूते हुए...बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल...
परछाइयां भी छोड़ गयी साथ अब मेरा
ReplyDeleteपर ग़म को मेरा साथ निभाना है दूर तक
श्याम भाई ...सभी अशआर दिल को छूते हुए...ख़ूबसूरत ....
जय श्री राधे
भ्रमर ५
आप सबों का बहुत-बहुत शुक्रिया...ब्लॉग पर आने और हौसला अफ़ज़ाई के लिए..
ReplyDeleteरोक ले ,तू जितना भी हम को रोक सके
ReplyDeleteमैंने भी ठाना,जाना है मुझे भी दूर तक .....
शुभकामनाये,स्वस्थ रहें .......
वाह, बहुत खूब... स्वागत व आभार...
Deleteराजीव जी, चर्चा मंच पर मेरी रचना लेने के लिए तहे दिल से शुक्रिया... ब्लॉग से जुड़ने के लिए आभार.
ReplyDeleteइक अहले-मुक़ाम ब-शिद्दत तिरी रह तके..,
ReplyDeleteज़रखेज़ जमीं औ आबोदाना है दूर तक.....
उम्दा...बहुत ज़रखेज़ है फ़िक्र की ज़मीन...खुशामदीद व शुक्रिया...
Deleteबैल : -- कितनी ज़रखेज़ जमीं है,
ReplyDeleteगाँय : -- ज़रखेज़ जमीं से आपका क्या मतलब है जी ! अब है तो चर ही जाओगे क्या.....
यह भी खूब रही...ब्लॉग पर आने और इससे जुड़ने के लिए शुक्रिया...
Deleteवाह बहुत खूब . बेहतरीन ग़ज़ल..
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत एवं मुकम्मल ग़ज़ल .. बधाई ..
ReplyDeleteशुक्रिया..
Deleteजिस राह पे खड़ी थीं हवाएं वो सिरफिरी
ReplyDeleteउस राह पे चराग जलाना है दूर तक ....बहुत खूब !!!
आपका बहुत बहुत शुक्रिया...
Deleteये जिन्दगी नहीं है वफाओं का सिलसिला,
ReplyDeleteसांसों के टूटने का फसाना है दूर तक......................बहुत खूब आदरणीय!
शुक्रिया...
Deleteये जिन्दगी नहीं है वफाओं का सिलसिला,
ReplyDeleteसांसों के टूटने का फसाना है दूर तक
वाह! बहुत खूब कही है यह पूरी ग़ज़ल .
मेरी तरफ से अर्ज़ है.....
यूँ तो बीच राह 'ज़िन्दगी' ने कह दिया अलविदा
पर मुझे तो अपना वादा निभाना है दूर तक !
बहुत खूब, लाजवाब... दिली दाद कुबूल करें....हौसला अफजाई के लिए शुक्रिया...
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