सर्दियों के मौसम की नर्म
धूप लगे माँ
सहनशीलता, त्याग का
प्रतिरूप लगे माँ
तपती दुपहरी में शीतल बयार
लगे माँ
इंद्र वाटिका का धवल हरसिंगार
लगे माँ
सुहागिन के माथे सजा सिंदूर
लगे माँ
पूजा की थाली का अक्षत, दूब
लगे माँ
व्रती के हाथों का पावन सूप
लगे माँ
बिन तीरथ व धाम की देवी
रूप लगे माँ
बुझी अंगीठी में आशा की फूँक
लगे माँ
कोंपलों से उठी खुशियों
की कूक लगे माँ
मरु विस्तार में नेह का
अनुबंध लगे माँ
मन से मन को पाटती,
सेतुबंध लगे माँ
निखरी चाँदनी में चंदा का
प्यार लगे माँ
निर्मल, निश्छल ममता का उद्गार
लगे माँ
सारे अरमानों की एक रहगुज़र
लगे माँ
हमें दुआओं का अथाह समुन्दर
लगे माँ
माँ
© हिमकर श्याम
तपती दुपहरी में शीतल बयार लगे माँ
इंद्र वाटिका का धवल हरसिंगार लगे माँ
वाह ! सुंदर रचना
नमन है संसार की समस्त् माताओं को !
वाह.. बहुत सुन्दर रचना...
ReplyDelete:-)
माँ को नमन
ReplyDeleteप्रिय हिमकर जी बहुत प्यारी रचना .माँ का प्रेम तो अनमोल है .हर माँ को नमन ...बधाई
ReplyDeleteभ्रमर ५
माँ के बारे में जो कल्पना न हो वो कम है ... माँ प्यार है संसार है, जीवन का आधार है, ...
ReplyDeleteमाँ पर लाजवाब रचना...बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteनयी पोस्ट@आप की जब थी जरुरत आपने धोखा दिया
हमें दुआओं का अथाह समुन्दर लगे माँ
ReplyDeleteमाँ प्यार है...सुन्दर रचना
सबकुछ है माँ उसी से ये संसार हैं
ReplyDeleteमाँ को समर्पित सुन्दर रचना
जिसके आगे शब्द भी कम पड़ जाते हैं ऐसी है माँ..
ReplyDeleteप्रिय चैतन्य, तुम्हारी प्रतिक्रिया पाकर खुशी हुई, स्वागत व धन्यवाद
ReplyDeleteराजेन्द्र स्वर्णकार जी, रीना जी, भ्रमर जी, नासवा जी, प्रसन्नवदन जी, रामकुमारजी, कविता रावत जी, अमृता तन्मय जी आप सभी का ह्रदय से आभार
ReplyDeleteKeep it up.The world needs a poet like you !
ReplyDeleteसादर अभिवादन! दिल से आभारी हूँ. आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया से मेरी लेखनी को संबल मिला.
Deleteमाँ के बारे में लिखी हर एक पंक्ति अपने आप में पूर्ण है,माँ का स्थान संसार में कोई नहीं ले सकता तभी तो'''हमें दुआओं का अथाह समुन्दर लगे माँ''सत्य है माँ के दिल से अपने बच्चों की खुशियों के लिए सदा दुआ ही निकलती है.
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी रचना लगी .संग्रहनीय प्रभावी रचना .
आपकी सुखद और उत्साहपूर्ण प्रतिक्रिया ने प्रफुल्लित कर दिया. हृदय से आभार.
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