Saturday 10 May 2014

माँ


-चित्र गूगल से साभार-



 (मातृ-दिवस पर)

 सर्दियों के मौसम की नर्म धूप लगे माँ
सहनशीलता, त्याग का प्रतिरूप लगे माँ
तपती दुपहरी में शीतल बयार लगे माँ
इंद्र वाटिका का धवल हरसिंगार लगे माँ
सुहागिन के माथे सजा सिंदूर लगे माँ
पूजा की थाली का अक्षत, दूब लगे माँ
व्रती के हाथों का पावन सूप लगे माँ
बिन तीरथ व धाम की देवी रूप लगे माँ
बुझी अंगीठी में आशा की फूँक लगे माँ
कोंपलों से उठी खुशियों की कूक लगे माँ
मरु विस्तार में नेह का अनुबंध लगे माँ
मन से मन को पाटती, सेतुबंध लगे माँ
निखरी चाँदनी में चंदा का प्यार लगे माँ
निर्मल, निश्छल ममता का उद्गार लगे माँ
सारे अरमानों की एक रहगुज़र लगे माँ
हमें दुआओं का अथाह समुन्दर लगे माँ


माँ

© हिमकर श्याम

 
  

  

15 comments:



  1. तपती दुपहरी में शीतल बयार लगे माँ
    इंद्र वाटिका का धवल हरसिंगार लगे माँ


    वाह ! सुंदर रचना
    नमन है संसार की समस्त् माताओं को !


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  2. वाह.. बहुत सुन्दर रचना...
    :-)

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  3. प्रिय हिमकर जी बहुत प्यारी रचना .माँ का प्रेम तो अनमोल है .हर माँ को नमन ...बधाई

    भ्रमर ५

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  4. माँ के बारे में जो कल्पना न हो वो कम है ... माँ प्यार है संसार है, जीवन का आधार है, ...

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  5. हमें दुआओं का अथाह समुन्दर लगे माँ

    माँ प्यार है...सुन्दर रचना

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  6. सबकुछ है माँ उसी से ये संसार हैं
    माँ को समर्पित सुन्दर रचना

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  7. जिसके आगे शब्द भी कम पड़ जाते हैं ऐसी है माँ..

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  8. प्रिय चैतन्य, तुम्हारी प्रतिक्रिया पाकर खुशी हुई, स्वागत व धन्यवाद

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  9. राजेन्द्र स्वर्णकार जी, रीना जी, भ्रमर जी, नासवा जी, प्रसन्नवदन जी, रामकुमारजी, कविता रावत जी, अमृता तन्मय जी आप सभी का ह्रदय से आभार

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  10. Keep it up.The world needs a poet like you !

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    1. सादर अभिवादन! दिल से आभारी हूँ. आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया से मेरी लेखनी को संबल मिला.

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  11. माँ के बारे में लिखी हर एक पंक्ति अपने आप में पूर्ण है,माँ का स्थान संसार में कोई नहीं ले सकता तभी तो'''हमें दुआओं का अथाह समुन्दर लगे माँ''सत्य है माँ के दिल से अपने बच्चों की खुशियों के लिए सदा दुआ ही निकलती है.
    बहुत ही अच्छी रचना लगी .संग्रहनीय प्रभावी रचना .

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    1. आपकी सुखद और उत्साहपूर्ण प्रतिक्रिया ने प्रफुल्लित कर दिया. हृदय से आभार.

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