Friday 25 July 2014

उमड़ घुमड़ घन बदरा आये



उमड़ घुमड़ घन बदरा आये।
नयनों में बन कजरा छाये।।

खेतों में, खलिहानों में
धरती की मुस्कानों में
मन की गांठें खोल-खोल कर
प्रेम सुधा सब पर बरसाये।
उमड़ घुमड़ घन बदरा आये।।

चरवाहों के पट पड़ाव को
हरवाहों के मनोभाव को
यादों के हर घाव-घाव को
हर पल बैरी खूब सताये।
उमड़ घुमड़ घन बदरा आये।।

सरगम-सरगम शहर गांव है
आरोह-अवरोह भरा छांव है
पुरवइया मन के तारों पे
मौसम राग मल्हार सुनाये।
उमड़ घुमड़ घन बदरा आये।।

एक रस कण-कण को अर्पित
धरा द्रौपदी पुलकित-पुलकित
कोई देखो कौन समर्पित
कितने अस्फुट स्वर में गाये।
उमड़ घुमड़ घन बदरा आये।।

प्राणों की मौन पुकारों में
सारी रूठी मनुहारों में
गुल, गुलशन, गुलजारों मे
कौन ये जीवन रस छलकाये।
उमड़ घुमड़ घन बदरा आये।।

© हिमकर श्याम

(चित्र गूगल से साभार)


18 comments:

  1. सरगम-सरगम शहर गांव है
    आरोह-अवरोह भरा छांव है
    पुरवइया मन के तारों पे
    मौसम राग मल्हार सुनाये।
    उमड़ घुमड़ घन बदरा आये।।
    .... बरसती घटाओं की फुहार लिए सुन्दर रचना

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  2. प्राणों की मौन पुकारों में
    सारी रूठी मनुहारों में
    गुल, गुलशन, गुलजारों मे
    कौन ये जीवन रस छलकाये ...
    घन बदरा जो बरस जाएँ तो जाने कितना कुछ साथ ले आते हैं ... प्रेम अगन, खिलता उपवन, झींगुर स्वर संगीत ... सुन्दर रचना ...

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  3. चरवाहों के पट पड़ाव को
    हरवाहों के मनोभाव को
    यादों के हर घाव-घाव को
    हर पल बैरी खूब सताये।
    उमड़ घुमड़ घन बदरा आये।।
    ...वाह...भावों और शब्दों का अद्भुत संयोजन...बहुत सुन्दर

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  4. Replies
    1. मेरी रचना के चयन के लिये धन्यवाद ।

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  5. खेतों में, खलिहानों में
    धरती की मुस्कानों में
    मन की गांठें खोल-खोल कर
    प्रेम सुधा सब पर बरसाये।
    उमड़ घुमड़ घन बदरा आये।

    वाह ! बेहद खूबसूरती से कोमल भावनाओं को संजोया इस प्रस्तुति में आपने ...

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद

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  6. प्राणों की मौन पुकारों में
    सारी रूठी मनुहारों में
    गुल, गुलशन, गुलजारों मे
    कौन ये जीवन रस छलकाये।
    उमड़ घुमड़ घन बदरा आये।।--भाव के साथ अलंकर का सुन्दर समायोजन |
    : महादेव का कोप है या कुछ और ....?
    नई पोस्ट माँ है धरती !

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    1. स्वागत है आपका...ब्लॉग से जुड़ने और अपना कीमती समय देने के लिए आभार!

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  7. क्या बात बहुत सुन्दर गीत वाह!

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    1. उत्साहपूर्ण प्रतिक्रिया के लिए आभार...स्वागत है आपका...ब्लॉग से जुड़ने के लिए हार्दिक धन्यवाद!

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  8. बेहद उम्दा रचना और बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई...
    नयी पोस्ट@जब भी सोचूँ अच्छा सोचूँ
    इस रचना को संगीत के साथ प्रस्तुत किया जाय तो मज़ा आ जाए| आप का क्या ख्याल है?

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  9. क्या ऐसा संभव है? यदि यह संगीतबद्ध रूप में सामने आये तो यकीनन सुखद रहेगा. स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए आभार!

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