Saturday, 24 January 2015

हे वागीश्वरी


1.
वरदायिनी
माँ शारदे, वर दे
बुद्धि, ज्ञान दे

2.
ज्योति स्वरूपा
गहन है अँधेरा
अज्ञान हर 

3.
हे वागीश्वरी
शब्द, भाव, छंद दे
विनती करूँ

4.

वीणा वादिनी
वसंत की रागिनी
लय, तान दे

5.
माँ सरस्वती
शरण में ले मुझे
साधक तेरा 

6.
वसंतोत्सव
ज्ञान की आराधना
श्रृंगार पर्व   

वसंत पंचमी की शुभकामनाएँ... माँ सरस्वती सभी पर ज्ञान रूपी आशीर्वाद बरसाती रहें!!

© हिमकर श्याम
(चित्र गूगल से साभार)

15 comments:

  1. सार्थक प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (25-01-2015) को "मुखर होती एक मूक वेदना" (चर्चा-1869) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    बसन्तपञ्चमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. चर्चामंच पर स्थान देने के लिए धन्यवाद!

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  3. शारदा माँ का हाइकु में सुन्दर वर्णन ।

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    1. स्वागत है आपका...इस स्नेह और सम्मान के लिए हृदय से आभार!!

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  4. बहुत सुन्दर वंदना हाइकू छंद में !

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  5. सार्थक रचना

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  6. माँ सरस्वती के चरणों में समर्पित सुन्दर हाइकू ...
    सार्थक भाव ...

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    1. हृदय से आभार आपका

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  7. ज्योति स्वरूपा
    गहन है अँधेरा
    अज्ञान हर

    सुन्दर स्तुति, नमन

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    1. हृदय से आभार आपका

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  8. Replies
    1. स्वागत है आपका...हार्दिक आभार

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  9. सुंदर सरस्वती वंदन पर हाइकू।

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