[जन्माष्टमी पर कुछ दोहे]
रूप सलोना श्याम का, मनमोहन चितचोर।
कहतीं ब्रज की गोपियाँ, नटखट माखन चोर।।
माँ यशोदा निरख रही, झूमा गोकुल धाम।
मीरा के मन में बसे, जपे सुर घनश्याम।।
सुधबुध खोई राधिका, सुन मुरली की तान।
अर्जुन की आँखें खुली, पाकर गीता ज्ञान।।
झूठे माया मोह सब, सच्चा है हरिनाम।
राग,द्वेष को त्याग कर, कर्म करें निष्काम।।
पाप निवारण के लिए, लिया मनुज अवतार।
लीलाधारी कृष्ण की, महिमा अपरम्पार।।
© हिमकर श्याम
(चित्र गूगल से साभार)
जनमाष्टमी की बधाइयाँ
ReplyDeleteमनभावन दोहे हैं सारे.
ReplyDeleteबहुत सुंदर . जन्माष्टमी की शुभकामनाएं !
ReplyDeleteनई पोस्ट : नाम ही तो है
सुधबुध खोई राधिका, सुन मुरली की तान।
ReplyDeleteअर्जुन की आँखें खुली, पाकर गीता ज्ञान।।..
सुन्दर सार्थक और सामयिक दोहे ... कृष्ण अष्टमी की बहुत बहुत बधाई ...
sunder....ati sunder
ReplyDeleteमोर पंख सर पे सजे, मन मोहन से श्याम।
राधा मीरा के संग रही ,बन के बाल गोपाल।।
किस विधि तुम से मिलू ,तजा साज़ श्रृंगार।
बन बन धूमू तेरे संग,ज्ञान का सागर मान।।
अनजान बनी थी राधिका ,भूली लोक विचार।
स्वप्न नहीं ये सत्य था,देखा भला सब ज्ञान।।
सुंदर
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (06-09-2015) को "मुझे चिंता या भीख की आवश्यकता नहीं-मैं शिक्षक हूँ " (चर्चा अंक-2090) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी तथा शिक्षक-दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभारी हूँ आदरणीय
Deleteबहुत सुंदर भाव
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भक्तिमय दोहे...शुभकामनाएं!
ReplyDeleteरूप सलोना श्याम का। एक उत्कृष्ट रचना।
ReplyDeleteसुंदर दोहे श्री कृष्ण को समर्पित.
ReplyDeleteबधाई स्वीकारें और जन्माष्टमी की शुभकामनायें भी.
अति सुंदर रचना
ReplyDeleteसार्थक लेखन
अशेष शुभकामनायें
कृष्णा की आराधना सुंदर दोहों से ।
ReplyDeleteसराहना तथा प्रोत्साहन के लिए आप सभी का हृदय से धन्यवाद एवं आभार !
ReplyDelete~सादर
अर्जुन की आँखें खुली, पाकर गीता ज्ञान।।..
ReplyDeleteसुन्दर सार्थक और सामयिक दोहे ... कृष्ण अष्टमी पर
आपका ब्लॉग बेहद सुन्दर है हिमकर जी मजा आ गया ब्लॉग पढ़कर
संजय भास्कर जी के ब्लॉग से आपका लिंक मिला
आपका और भास्कर जी का आभार :))
स्वागत व आभार
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