खूब होती शरारत मेरे साथ भी
सब्र को अब मिले कोई सौगात भी
रंजिशे और नफरत भुला कर सभी
हो कभी दिल से दिल की मुलाक़ात भी
है बला की कशिश और लज़्ज़त जुदा
कोई जादू लगे है ख़यालात भी
फ़ासले अब मिटें, बंदिशें सब हटें
प्यार की छांव में बीते दिन-रात भी
है लबों पे दुआ गर सुनो तुम सदा
हो अयाँ आंखों से दिल के जज़्बात भी
चाहतों से महकता रहे सहने दिल
हम पे रहमत करे अब ये बरसात भी
दूर रख इन ग़मों को चलो कुछ हँसे
वक़्त के साथ बदलेंगे हालात भी
अयाँ: जाहिर, सहन: आँगन
© हिमकर श्याम
(चित्र गूगल से साभार)
सब्र को अब मिले कोई सौगात भी
रंजिशे और नफरत भुला कर सभी
हो कभी दिल से दिल की मुलाक़ात भी
है बला की कशिश और लज़्ज़त जुदा
कोई जादू लगे है ख़यालात भी
फ़ासले अब मिटें, बंदिशें सब हटें
प्यार की छांव में बीते दिन-रात भी
है लबों पे दुआ गर सुनो तुम सदा
हो अयाँ आंखों से दिल के जज़्बात भी
चाहतों से महकता रहे सहने दिल
हम पे रहमत करे अब ये बरसात भी
दूर रख इन ग़मों को चलो कुछ हँसे
वक़्त के साथ बदलेंगे हालात भी
अयाँ: जाहिर, सहन: आँगन
© हिमकर श्याम
(चित्र गूगल से साभार)
बहुत उम्दा
ReplyDeleteसाजन नखलिस्तान
सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteशुक्रिया...
Deleteचर्चा मंच पर मेरी रचना लेने के लिए तहे दिल से शुक्रिया...
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत-बहुत शुक्रिया
DeleteBahut lajawaaab prastuti ...!!
ReplyDeleteबहुत-बहुत शुक्रिया...
Deleteभाव प्रवण रचना जो दिल को छू गई। मेरे पोस्ट पर आपका आमंत्रण है।सुप्रभात।
ReplyDeleteहार्दिक अभिनन्दन. प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद.
Deleteफ़ासले अब मिटें, बंदिशें सब हटें
ReplyDeleteप्यार की छांव में बीते दिन-रात भी..
प्यार हो तो बंदिशें कहाँ रह पाती हैं ... हर शेर लाजवाब है ... उम्दा ग़ज़ल ...
शुक्रिया आपका ...
Deleteदूर रख इन ग़मों को चलो कुछ हँसे
ReplyDeleteवक़्त के साथ बदलेंगे हालात भी
बहुत ही सुन्दर गजल.....
शुक्रिया आपका...
Deleteफ़ासले अब मिटें, बंदिशें सब हटें
ReplyDeleteप्यार की छांव में बीते दिन-रात भी------
वाह बहुत खूब---
बेहद सुंदर और मन को छूती गजल
सादर
शुक्रिया आपका...
Deleteफ़ासले अब मिटें, बंदिशें सब हटें
ReplyDeleteप्यार की छांव में बीते दिन-रात भी..
...... लाजवाब है ... उम्दा
बहुत खुबसूरत अभिव्यक्ति ....... सारे शेर उम्दा
ReplyDeleteशुक्रिया...
ReplyDeleteबहुत खूब
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