Wednesday, 1 January 2014

स्वागत करें हम नये साल का


अभिनंदन नव वर्ष  2014


उमंगों की डोली ले आया कहार
चुनर लाल ओढ़े खड़ा कोई द्वार

कनक रश्मियों में समायी है भोर
हुए स्वप्न पुलकित, हुआ मन विभोर
नयी भोर आयी है लेकर बहार

नयी धुन फिजाओं में बजने लगी
नयी आरज़ू है, नयी है ख़ुशी
उम्मीदों के रथ पर हुए सब सवार

सभी हों निरामय, सभी हो सुखी
मिटे आह पीड़ा, मिटे बेबसी
मिले अब सभी को सुकूनों करार

न होगा किसी का जड़ों से कटाव
रुकेगा नहीं अब नदी का बहाव
चहक नीड़ में हो, चमन में गुँजार

जहाँ में न नफरत का अब नाम हो
जुबाँ पर मुहब्बत का पैगाम हो
मिटे बैर दिल का,  मिटे हर दरार

चहूँ ओर माहौल है ज़श्न का
स्वागत करें हम नये साल का
चलो अपनी किस्मत को ले कुछ सँवार

-हिमकर श्याम
 









4 comments:

  1. बहुत ई अच्छे भाव लिए हुए नववर्ष की कविता.
    नववर्ष की शुभकामनाएँ.

    पहली बार आप के ब्लॉग पर आना हुआ,गीत पर टिप्पणी हेतु आभार.

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  2. अल्पना जी, अभिनंदन आपका। आप यहाँ आयीं, अच्छा लगा. प्रतिक्रिया के लिए सहृदय आभार.

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  3. आपकी रचनाओं में एक अलग अंदाज है,

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  4. संजय जी, हार्दिक आभार...

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