मुश्किलों को हौसलों
से पार कर
सामने होती मसाइल इक नयी
बात दिल में जो दबी कह दे उसे
नफरतों का बीज कोई बो रहा
ढूंढता दिल चन्द खुशियों की घड़ी
दूर मंज़िल हैं अभी रस्ता कठिन
अपने ख़्वाबों की निगहबानी करो
है हमें लड़ना मुसलसल वक़्त से
-हिमकर श्याम
(चित्र संयोजन : रोहित कृष्ण)
ज़िन्दगी दुश्वार
लेकिन प्यार कर
सामने होती मसाइल इक नयी
बैठ मत जा गर्दिशों
से हार कर
बात दिल में जो दबी कह दे उसे
इश्क़ है उससे अगर
इज़हार कर
नफरतों का बीज कोई बो रहा
दोस्तों से यूँ न तू
तक़रार कर
ढूंढता दिल चन्द खुशियों की घड़ी
अब ग़मों पर खुद पलट
कर वार कर
दूर मंज़िल हैं अभी रस्ता कठिन
ज़िन्दगी की राह को
हमवार कर
अपने ख़्वाबों की निगहबानी करो
फायदा क्या
ख़्वाहिशों को मार कर
है हमें लड़ना मुसलसल वक़्त से
हर घड़ी हासिल
तज़ुर्बा यार कर
-हिमकर श्याम
(चित्र संयोजन : रोहित कृष्ण)