Saturday, 29 November 2014

तुम दिव्य वृन्दावन सी


त्वं जीव शरदः सहस्रम्

चाँद-तारों ने तुमको गगन से निहारा 
मंगलमय हो जन्मदिन अक्षिता तुम्हारा 

हरपल हँसती रहो तुम, मुस्कुराती रहो 
आँगन में पंछियों सी, चहचहाती रहो 
तुमसे सुरभित हुआ है, मन उपवन सारा 

तुम दिव्य वृन्दावन सी, घर गोकुल हमारा 
तुम कान्हा की मुरली, यमुना की धारा 
तुमहीं हमारी खुशियाँ, सुख चैन हमारा

© हिमकर श्याम  

[हमारी प्यारी बिटिया (भतीजी) अक्षिता सुदिति (कीर्ति) का प्रथम जन्मदिन 22-11-2014 को था. बिटिया के लिए एक छोटी सी कविता लिखी थी, आज पोस्ट कर रहा हूँ. आप सब भी बिटिया अक्षिता को अपना स्नेहिल आशीर्वाद दें]

Monday, 3 November 2014

अज़्म के दीप हवाओं में जलाते रहिए

[मित्रों, नमस्कार! ब्लॉग जगत में प्रवेश के आज एक वर्ष पूरे हो गये। सभी पाठकों, ब्लॉगर बंधुओं, मित्रों, शुभचिन्तकों, प्रशंसकों, समर्थकों और आलोचकों का हार्दिक धन्यवाद। 3 नवम्बर, 2013 को मैंने इस ब्लॉग पर पहली पोस्ट लिखी थी। इस एक साल के सफ़र में आप सब ने जो सहयोग, प्यार और मान  दिया है, उस के लिये मैं बहुत-बहुत शुक्रगुज़ार हूँ। पाठकों के सहयोग के वगैर कोई भी व्यक्ति अधिक समय तक नहीं लिख सकता। अपना स्नेह ऐसे ही बनाये रखें, ताकि मैं अपनी पूरी ऊर्जा, सामर्थ्य, निष्ठा और लगन के साथ लिखता रहूँ। इस मौके पर एक ग़ज़ल आप सब के लिए आपकी शुभकामनाओं, स्नेह, सहयोग और मशवरों का आकांक्षी...]


ज़िन्दगी के इन अज़ाबों को उठाते रहिए
ग़म हजारों हों मगर हँसते हँसाते रहिए

बंदिशें टूट भी जाती हैं सुना है हमने
ग़ाम हर ग़ाम नयी राह बनाते रहिए

मंजिलें दूर अभी, राह जरा है मुश्किल
हौसले दिल में लिए खुद को बढ़ाते रहिए

वक़्त की लहरें बहा देंगी घरौंदे कच्चे
इन थपेड़ों से घरौंदों को बचाते रहिए

जिनकी आंखों में कोई ख़्वाब नहीं सजते हैं
उनकी आंखों में उम्मीदों को जगाते रहिए

हौसलेवाले न घबराते किसी तूफां से
अज़्म के दीप हवाओं में जलाते रहिए

आसमानों से बरसती नहीं अब के रहमत
गुल ख़ज़ाँओ में लहू देके खिलाते रहिए

अजनबी शहर है हर शख़्स नया लगता है
कौन है, क्या है जरा हमको बताते रहिए

दुश्मनी में भी मोहब्बत के चलन रस्म-ओ-रवाज
रंग उल्फ़त के युं चहरों पे चढ़ाते रहिए

सख़्त होती है वफाओं की सबीलें 'हिमकर'
गर हो मंज़िल की तलब पाँव बढ़ाते रहिए

अज़ाब : पीड़ा, ग़ाम : पग, अज़्म : संकल्प, रहमत : कृपा, सबील : मार्ग  

© हिमकर श्याम  
(चित्र गूगल से साभार)