[आज इस 'ब्लॉग' के तीन वर्ष पूरे हो गए। इन तीन वर्षों में आप लोगों का जो स्नेह और सहयोग मिला, उसके लिए तहे दिल से शुक्रिया और आभार। यूँही आप सभी का स्नेह और मार्गदर्शन मिलता रहे यही चाह है। इस मौक़े पर एक ग़ज़ल आप सब के लिए। सादर,]
ज़िंदगी तुझसे निभाना आ गया
हौसलों को आज़माना आ गया
रफ्ता-रफ्ता ज़िन्दगी कटती गयी
और ग़म से दिल लगाना आ गया
सहते सहते दर्द की आदत पड़ी
चोट खाकर मुस्कुराना आ गया
तितलियाँ भी बाग़ में आने लगीं
देखिए मौसम सुहाना आ गया
मुद्दतों के बाद उनसे हम मिले
लौट के गुजरा ज़माना आ गया
हो रहे कमज़ोर रिश्ते आजकल
देखिए कैसा ज़माना आ गया
हार पर आँसू बहाते कब तलक
जीत को मकसद बनाना आ गया
हो गयी नज़रें इनायत आपकी
हाथ में जैसे खज़ाना आ गया
फितरतें हिमकर सियासी हो गई
बात तुमको भी बनाना आ गया
© हिमकर श्याम
[तस्वीर : फोटोग्राफिक क्लब रूपसी के अध्यक्ष श्रद्धेय डॉ सुशील कुमार अंकन जी की]
ज़िंदगी तुझसे निभाना आ गया
हौसलों को आज़माना आ गया
रफ्ता-रफ्ता ज़िन्दगी कटती गयी
और ग़म से दिल लगाना आ गया
सहते सहते दर्द की आदत पड़ी
चोट खाकर मुस्कुराना आ गया
तितलियाँ भी बाग़ में आने लगीं
देखिए मौसम सुहाना आ गया
मुद्दतों के बाद उनसे हम मिले
लौट के गुजरा ज़माना आ गया
हो रहे कमज़ोर रिश्ते आजकल
देखिए कैसा ज़माना आ गया
हार पर आँसू बहाते कब तलक
जीत को मकसद बनाना आ गया
हो गयी नज़रें इनायत आपकी
हाथ में जैसे खज़ाना आ गया
फितरतें हिमकर सियासी हो गई
बात तुमको भी बनाना आ गया
© हिमकर श्याम
[तस्वीर : फोटोग्राफिक क्लब रूपसी के अध्यक्ष श्रद्धेय डॉ सुशील कुमार अंकन जी की]