[आज इस 'ब्लॉग' के चार वर्ष पूरे हो गए। इन चार वर्षों में आप लोगों का जो स्नेह और सहयोग मिला, उसके लिए तहे दिल से शुक्रिया और आभार। यूँही आप सभी का स्नेह और मार्गदर्शन मिलता रहे यही चाह है। इस मौक़े पर एक ग़ज़ल आप सब के लिए। सादर,]
हर क़दम हौसला
बढ़ाता है
सब्र किस दर्जा काम आता है
ख्वाब देखूँ तो किस तरह देखूँ
नींद से रोज़
वो जगाता है
जिस ने मेरा मकाँ जलाया था
आज वो अश्क़ भी
बहाता है
उस की रहमत पे है
नज़र वर्ना
साथ मुश्किल में कौन आता है
काटिए मत हरा शजर
ऐसे
धूप में सब के काम आता है
हादसे ख़ुद नज़र बचाते हैं
मौत से आँख जो मिलाता है
अपने बाज़ू पे रख यक़ीँ हिमकर
जीस्त का बोझ
जो उठाता है
जीस्त : ज़िंदगी
© हिमकर श्याम
(चित्र गूगल से साभार)