Sunday, 17 December 2017

ख़्वाब सुनहरे बेचा कर


नाकामी  पर  परदा  कर
जनता को भरमाया कर


जब  मुद्दों  की  बात  उठे
मज़हब में उलझाया कर


भूखों  की  तादाद  बढ़ी
खुशहाली का दावा कर


सीधे  साधे  लोग   यहाँ
ख़्वाब सुनहरे बेचा कर


लफ़्फ़ाज़ी  का  राजा  तू
जुमले  यूँ  ही  फेंका कर


जो भी  तुझसे  प्रश्न  करे
उसके मुँह पर ताला कर


बेबस  चीखें   कहती   हैं
ज़ुल्म न हमपे इतना कर



(चित्र गूगल से साभार)

© हिमकर श्याम