Monday, 29 March 2021

खुली ढोल की पोल


जोगीरा सारा रारारा...!!! 

चरचा में है कांड वसूली, अघाड़ी परेशान।।
परमबीर के लेटर बम से, सियासी घमासान।
जोगीरा सारा रारारा...!!!

रवींदर सा दिक्खे नरेंदर, बदला जब से वेश।
सत्याग्रह भी ट्रेंड हुआ है, भौचक बंगलादेश।।
जोगीरा सारा रारारा...!!!

एक रात में कटा प्लास्टर, खुली ढोल की पोल।
वैरी जन ट्विटर पर कहते, दीदी का सब झोल।।
जोगीरा सारा रारारा...!!!

एलजी के हाथों में पावर,  सत्ता की तकरार।
नाराज़ केजरी माँग रहे, वापस दो अधिकार।।
जोगीरा सारा रारारा...!!!

हुई सदन में धक्का-मुक्की, जम जूतम पैजार।
नेताओं की गुंडागर्दी, शर्मनाक व्यवहार।।
जोगीरा सारा रारारा...!!!

तेल गैस सब उछल रहा है, बढ़े दाम दिन-रात।
राष्ट्रप्रेम में भूल गए सब, महंगाई की बात।।
जोगीरा सारा रारारा...!!!

बैंक बिकेगा, भेल बिकेगा, और बिकेगा रेल।
प्रश्न करेगा कोई जब तो, पहुँचा देंगे जेल।।
जोगीरा सारा रारारा...!!!

खूँटा गाड़े टिकैत बैठा, हल के बिना किसान।
मुँह फेरे शासक है बैठा, अड़ियल है परधान।।
जोगीरा सारा रारारा...!!!

कीचड़ पर ही भिनके माखी , खिले कमल का फूल।
मुकुल- शुभेंदु भगवाधारी, बिखर गया तृण मूल।।
जोगीरा सारा रारारा...!!!

संघ भवन से चलती देखो, कॉरपोरेट सरकार।
जोर लगाता पप्पू लेकिन, खिसक रहा आधार।।
जोगीरा सारा रारारा...!!!

© हिमकर श्याम


(चित्र गूगल से साभार)

Thursday, 25 March 2021

अच्छी नहीं लगती



 


 रवानी गर नहीं हो तो नदी अच्छी नहीं लगती
कोई फ़ितरत बदलती चीज़ भी अच्छी नहीं लगती

जहाँ इंसानियत के नाम पर कुछ भी नहीं बाक़ी
वहाँ तहज़ीब की बेचारगी अच्छी नहीं लगती

छलकते बाप के आँसू, सिसकती रात भर अम्मा
बुढ़ापे में किसी की बेबसी अच्छी नहीं लगती

कहीं पे जश्न का आलम, कहीं पे मुफ़लिसी तारी
चराग़ों के तले यह तीरगी अच्छी नहीं लगती

खिलौनों की जगह हाथों में बच्चों के कटोरे हैं
किसी मासूम आँखों में नमी अच्छी नहीं लगती

कभी जो साथ रहते थे, हुए हैं दूर वो मुझसे
मुझे यूँ दोस्तों की बेरुख़ी अच्छी नहीं लगती

तुम्हारी याद में अक्सर मैं ख़ुद को भूल जाता हूँ
जमाने को मेरी ये बे-ख़ुदी अच्छी नहीं लगती

© हिमकर श्याम

(चित्र गूगल से साभार)