[मित्रों, नमस्कार! ब्लॉग जगत में प्रवेश के आज एक वर्ष पूरे हो गये। सभी पाठकों, ब्लॉगर बंधुओं, मित्रों, शुभचिन्तकों, प्रशंसकों, समर्थकों और आलोचकों का हार्दिक धन्यवाद। 3 नवम्बर, 2013 को मैंने इस ब्लॉग पर पहली पोस्ट लिखी थी। इस एक साल के सफ़र में आप सब ने जो सहयोग, प्यार और मान दिया है, उस के लिये मैं बहुत-बहुत शुक्रगुज़ार हूँ। पाठकों के सहयोग के वगैर कोई भी व्यक्ति अधिक समय तक नहीं लिख सकता। अपना स्नेह ऐसे ही बनाये रखें, ताकि मैं अपनी पूरी ऊर्जा, सामर्थ्य, निष्ठा और लगन के साथ लिखता रहूँ। इस मौके पर एक ग़ज़ल आप सब के लिए। आपकी शुभकामनाओं, स्नेह, सहयोग और मशवरों का आकांक्षी...]
ज़िन्दगी के इन अज़ाबों को उठाते रहिए
ग़म हजारों हों मगर हँसते हँसाते रहिए
बंदिशें टूट भी जाती हैं सुना है हमने
ग़ाम हर ग़ाम नयी राह बनाते रहिए
मंजिलें दूर अभी, राह जरा है मुश्किल
हौसले दिल में लिए खुद को बढ़ाते रहिए
वक़्त की लहरें बहा देंगी घरौंदे कच्चे
इन थपेड़ों से घरौंदों को बचाते रहिए
जिनकी आंखों में कोई ख़्वाब नहीं सजते हैं
उनकी आंखों में उम्मीदों को जगाते रहिए
हौसलेवाले न घबराते किसी तूफां से
अज़्म के दीप हवाओं में जलाते रहिए
आसमानों से बरसती नहीं अब के रहमत
गुल ख़ज़ाँओ में लहू देके खिलाते रहिए
अजनबी शहर है हर शख़्स नया लगता है
कौन है, क्या है जरा हमको बताते रहिए
दुश्मनी में भी मोहब्बत के चलन रस्म-ओ-रवाज
रंग उल्फ़त के युं चहरों पे चढ़ाते रहिए
सख़्त होती है वफाओं की सबीलें 'हिमकर'
गर हो मंज़िल की तलब पाँव बढ़ाते रहिए
अज़ाब : पीड़ा, ग़ाम : पग, अज़्म : संकल्प, रहमत : कृपा, सबील : मार्ग
© हिमकर श्याम
(चित्र गूगल से साभार)
हौसलेवाले न घबराते किसी तूफां से
ReplyDeleteअज़्म के दीप हवाओं में जलाते रहिए
बहुत खूबसूरत गजल.
बढ़िया
ReplyDeleteप्रेरणादायी और जीवंत अभिव्यक्ति
बधाई … सतत लेखन की शुभकामनायें
बहुत ही बढियां गजल..
ReplyDeleteब्लॉगजगत में एक वर्ष पुरे होने पर आपको बहुत-बहुत बधाई.. निरंतर लेखनी जारी रहे यही शुभकामना...
:-)
शुक्रिया आपका
Deleteबहुत उम्दा ग़ज़ल...हार्दिक बधाई और शुभकामनायें!
ReplyDeleteकमाल ,,,सब एक से बढकर एक ..बहुत अच्छे , बहुत ही उम्दा । शुभकामनाएं आपको
ReplyDeleteतहेदिल से आभार... स्वागत है आपका
Deleteमंजिलें दूर अभी, राह जरा है मुश्किल
ReplyDeleteहौसले दिल में लिए खुद को बढ़ाते रहिए ..
ब्लॉग का सफ़र उसकी मंजिल इतनी दूर भी नहीं ... इतनी कठिन भी नहीं ... बस आगे का सफ़र तय करते रहिये ....
बधाई आपको एक वर्ष पूरे होने की .... लाजवाब ग़ज़ल से आज का धमाका किया है आपने ...
ग़ज़ल आप तक पहुंची मुझे बेहद ख़ुशी हुई.. बहुत बहुत शुक्रिया आपका…
Deleteखुबसूरत अभिव्यक्ति .... उम्दा गजल
ReplyDeleteब्लॉगजगत में एक वर्ष पुरे होने पर आपको बहुत-बहुत बधाई.. निरंतर लेखनी जारी रहे यही शुभकामना
बेहद शुक्र्गुज़ार हूँ आ०
Deleteहौसलेवाले न घबराते किसी तूफां से
ReplyDeleteअज़्म के दीप हवाओं में जलाते रहिए
बहुत बढ़िया !!!
बहुत-बहुत शुक्रिया
Deleteबेहद उम्दा शायरी।
ReplyDeleteगज़ल और गीत के अशआर बनाते रहिये
और हम जैसों को खुशियों से खिलाते रहिये।
बेहद शुक्र्गुज़ार हूँ
Deleteउम्दा प्रस्तुति ..
ReplyDeleteब्लॉग के एक वर्ष पूरे पर आपको हार्दिक बधाई.... यूँ निरंतर आपकी लेखनी चलती रहे चलती रहे ..
बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति.... आभार।
ReplyDeleteतहेदिल से आभार... स्वागत है आपका
Deleteब्लॉगजगत में एक वर्ष पुरे होने पर आपको बहुत-बहुत बधाई.. निरंतर लेखनी जारी रहे .....बहुत देर से पहुंच पाया हूँ
ReplyDeleteशुक्रिया आपका
Deleteबेहतरीन.
ReplyDeleteब्लॉग के एक वर्ष पूरे पर आपको हार्दिक बधाई.
आभार...कृतज्ञ हूँ इस अल्पावधि में मिले आप सभी के भरपूर स्नेह के लिए
Deleteदेरी से यहाँ पहुँचने हेतु क्षमा चाहती हूँ ..ब्लॉग की दुनिया में एक साल पूरा कर लेने पर बधाई और आगे भी ऐसे ही लिखे रहें इसके लिए शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteग़ज़ल बहुत उम्दा लगी खासकर यह शेर "हौसलेवाले न घबराते किसी तूफां से
अज़्म के दीप हवाओं में जलाते रहिए"...
अल्पना जी, क्षमा मांग कर शर्मिंदा न करें. देर से ही सही प्रतिक्रिया मिली. बहुत बहुत शुक्रिया आपका…
Deletewaah...gazab ki abhivyakti
ReplyDeleteउत्तम
ReplyDeleteपहली बार पहुँची हूँ इस ब्लॉग पर ....और ये गज़ल बहुत करीबी लगी ...
ReplyDeleteस्वागत व आभार आदरणीया
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