खुशबुएँ बिखरी हवा में
है चहक उसकी फिजा में
नर्म नाजुक इक कली सी
और चँचल है नदी सी
वो हँसे तो चाँद हरसे
आसमां से नूर बरसे
वो बला की खूबसूरत
ख़्वाब है या है हकीक़त
हर अदा उसकी सुहानी
वो लगे परियों की रानी
बज उठा है साज सारा
खिल गया आँगन हमारा
माँ लिए बाँहों के झूले
तक रही हर दर्द भूले
घर में रौनक लायी गुड़िया
है बड़ी अनमोल बिटिया
हिमकर श्याम
( 22 नवंबर को हमारे घर में एक नन्ही परी आई है,
बिटिया आई है. रविकर, लता और बिटिया को ढेरों स्नेहाशीष...)