मूर्ख बने तो क्या हुआ, रखिए खुद को कूल।
हँसे-हँसाएँ आप हम, डे हैअप्रैल फूल।।
मूर्ख दिवस तो एक दिन, बनते हम सब रोज।
मूर्खों की इस भीड़ में, महामूर्ख की खोज।।
मूर्ख बना कर लोक को, मौज करे ये तंत्र ।।
धोखा, झूठ, फ़रेब, छल, नेताओं के मंत्र।।
© हिमकर श्याम
(चित्र गूगल से साभार)
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