Thursday, 24 December 2015

अहसास न होते तो, सोचा है कि क्या होता


अहसास न होते तो, सोचा है कि क्या होता
ये अश्क़ नहीं होते,  कुछ भी न मज़ा होता

तक़रार भला  क्यूँकर,  सब लोग यहाँ अपने
साजिश में जो फँस जाते, अंजाम बुरा होता

बेख़ौफ़  परिंदों   की, परवाज़  जुदा  होती
उड़ने का हुनर हो तो, आकाश झुका होता

अख़लाक़ जरूरी है, छोड़ो  न  इसे  लोगो
तहज़ीब बची हो तो, कुछ भी न बुरा होता

मेहमान परिंदे सब, उड़ जाते अचानक ही
रुकता न यहाँ कोई, हर शख़्स जुदा होता

काबा में न काशी में, ढूंढे न खुदा मिलता
गर गौर से देखो तो, सजदों में छुपा होता

मगरूर  नहीं  हिमकर, पर उसकी अना बाक़ी
वो सर भी झुका देता, गर दिल भी मिला होता


© हिमकर श्याम

(चित्र गूगल से साभार) 

Thursday, 10 December 2015

रहो खुश हमेशा दुआ यह हमारी



[ छोटी बहन सोनिका कृष्ण की शादी विगत 26 नवम्बर (गुरुवार), 2015  
को अमित शरण के साथ संपन्न हुई. यह छोटी सी रचना उनके लिए.]

बहन ये हमारी जो नाजों पली है
सभी की है प्यारी, बड़ी लाड़ली है
दिलों में उमंगों का संसार लेकर
क़ुलों को हमारे मिलाने चली है
लड़कपन की यादें भुलाकर यहीं पे
नये घर को अपने बसाने चली है
खनकती है चूड़ी, रची मेहँदी है
चुनर लाल ओढ़े खड़ी लाड़ली है
लिखा था विधाता ने जो वर मिला है
स्वागत में दूल्हे के चौखट सजा है
न बाक़ी रहे सोनिका की ख़्वाहिश
अमित जी हमारी यही है गुज़ारिश
जहाँ भर की ख़ुशियाँ इसे आप देना
कोई भूल हो तो हमें माफ़ करना
बड़ी प्यारी लगती है जोड़ी तुम्हारी
रहो खुश हमेशा, दुआ यह हमारी

© हिमकर श्याम