संकट सिर पर है खड़ा, रहिए ज़रा सतर्क।
बचा हुआ है अब कहाँ, मिट्टी से सम्पर्क।।
हरियाली पानी हवा, पृथ्वी के उपहार।
हर प्राणी के वास्ते, जीवन का आधार।।
कंकरीट से हम घिरे, होगा कब अहसास।
हरी भरी धरती रहे, मिल कर करें प्रयास।।
वसुधा ने जो भी दिया, उसका नहीं विकल्प।
धरा दिवस पर कीजिए, संचय का संकल्प।।
■ हिमकर श्याम