Sunday, 15 December 2013

पुराने दिन, पुरानी बातें


पुराने दिन, पुरानी बातें
नहीं भूला सुहानी बातें

वो आंखों ही आंखों में होती
दिलों की तर्जुमानी बातें

बसी है आज भी यादों में
मुहब्बत की निशानी बातें

अजब थी रातें वो उल्फ़त की
जवां दिल की रूमानी बातें

दयारे दिल से गुजरी है
ये किसकी जाफ़रानी बातें

मुरादों की ज़मीं पे उतरीं
हैं कितनी कहकशानी बातें

गुज़श्ता वक़्त में ले आयीं
धड़कनों की कहानी बातें

कभी होती हैं फ़ानी बातें
कभी हैं शादमानी बातें

चलो अब भूल जाएं शिकवे
करें ताज़ा पुरानी बातें

गुज़श्ता : बीता हुआ, फ़ानी : नश्वर, शादमानी : खुशी


हिमकर श्याम

(चित्र गूगल से साभार)

2 comments:

  1. The past is meeting the present for a bright future in its own way!Great!

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